अरविंद केजरीवाल का नाम लेते ही कई लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। ये मुस्कान क्यों आ जाती है इस बात को आप भली-भांति समझ सकते हैं। अरविंद केजरीवाल जब राजनीति में आए तो लोगों को लगा कि देश की राजनीति में एक बड़ा परिवर्तन होगा और हुआ भी। दिल्ली में जो इतने सालों से कांग्रेस का राज चल रहा था वो आम आदमी पार्टी के हाथ में आ गया। आम आदमी पार्टी के लिए एक बहुत बड़ी जीत थी और इस पूरी जीत के हीरो थे अरविंद केजरीवाल।
अरविंद केजरीवाल आज अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं और इसी मौके पर हम आपको उनके बारे में कुछ ख़ास बातें बताने जा रहे हैं। अरविंद केजरीवाल 16 अगस्त 1968 को जन्मे थे। अरविंद केजरीवाल ने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की. 1992 में वह भारतीय नागरिक सेवा (आईसीएस) के एक भाग, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए और उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त हुए.
# इस तरह राजनीति में आए केजरीवाल
जनवरी 2000 में केजरीवाल ने दिल्ली आधारित एक नागरिक आंदोलन ’परिवर्तन’ की शुरुआत की. परिवर्तन के जरिए उन्होंने दिल्ली की सरकार में पारदर्शिता लाने की कोशिश की। फरवरी 2006 में, उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूरे समय के लिए सिर्फ ’परिवर्तन’ में ही काम करने लगे।
अरविंद केजरीवाल सहित दूसरे समाजसेवियों के दबाव के चलते दिल्ली में सूचना अधिकार अधिनियम को 2001 में पारित किया गया और अंत में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संसद ने 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को पारित कर दिया। सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) मिलने के बाद केजरीवाल ने इसका भरपूर इस्तेमाल किया और कई घोटालों को जनता के सामने लाने में सफल रहे.
# अन्ना के साथ आंदोलन
भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए अरविंद केजरीवाल ने गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे के साथ मिलकर 2011 में बड़ा आंदोलन किया. केजरीवाल देश में लोकपाल लाने की मांग कर रहे थे. इस आंदोलन के दौरान केजरीवाल ने अन्ना की तरह अनशन भी किया. केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद भी लोकपाल नहीं आने पर 2 अक्टूबर 2012 को अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत कर दी। उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) की स्थापना की
# दिल्ली में केजरीवाल सरकार
2013 के दिल्ली विधान सभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया. खुद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट पर तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 25864 मतों से हराया। केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ मिलकर दिल्ली में सरकार का गठन किया.
# 49 दिनों में छोड़ दी सत्ता
वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री बनते ही पहले तो उन्होंने सिक्योरिटी वापस लौटायी. बिजली और पानी की दरों में 50 फीसदी की कटौती की. हालांकि दिल्ली विधानसभा में लोकपाल बिल नहीं पास करा पाने के चलते महज 49 दिनों में सत्ता को छोड़ दिया.
# मोदी के खिलाफ लड़ा चुनाव
2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ा. केजरीवाल खुद वाराणसी से हारे और पंजाब छोड़कर देश के सभी हिस्सों में आप के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.
# दिल्ली में फिर से केजरीवाल की ऐतिहासिक जीत
साल 2015 में पूरी तरह से बीजेपी और नरेंद्र मोदी की लहर के बाद भी अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की. 70 सीटों वाली विधानसभा में केजरीवाल की पार्टी ने 67 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया. हालांकि कई मुद्दों पर केंद्र सरकार के टकराव के चलते वे अक्सर विवादों में घिरे रहे.
# सामाजिक कार्यो के लिए अवार्ड
केजरीवाल राजनीति से ज्यादा सामाजिक कार्यों में सफल माने जाते हैं. उन्हें सामाजिक कार्यों में योगदान के लिए रमन मेगसेसे अवार्ड मिल चुका है. प्रतिष्ठित ’टाइम’ मैगजीन ने इन्हें विश्व के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति की सूची में जगह दी है.
अरविंद केजरीवाल ने क्या काम किया और क्या नहीं ये तो आप सभी जानते हैं और कई सारी बातें स्पष्ट हो चुकी है और बात अगर छवि की करें तो सारा खेल हमारा और आपका ही रहता है। हम ही किसी नेता को पॉपुलर बनाते हैं फिर उसी की मिट्टी पलीत कर देते हैं। यहां हम किसी पर दोष नहीं मढ़ रहे हैं। हम बस तथ्यों की बात कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल को आम आदमी से एक सीएम बनाने वाले भी हम और आप ही है।