नई दिल्ली: किसी भी प्रकार के रोग से बचने के लिए अकसर विषेशज्ञ खूब पानी पाने की सलाह देते है। साथ ही जब भी किसी फिट सेलिब्रिटीज या स्पोर्ट्पर्सन की फिटनेस जानतें है तब भी यही सामने आता है कि वे पानी ज्यादा पीते है। हांलकि पानी पाने से हमारी बाॅडी डिट्रक्साीफाई होती है। लेकिन कई बार इस आदत से जुडे मिथ यानि भ्रम भी सामने आते है। जिनकी सच्चाई को जानना जरूरी है। जानते है उनकी सच्चाई के बारे में मिथ यूरिन इन्फेक्शन से बाचाता है।
सच
यूरिनरी टेस्ट मे किसी प्रकार के इन्फेक्शन या रूकावट के कारण यूटीआई की शिकायत होती है। ऐसे में व्यक्ति को लगता है कि पानी ज्यादा पीने से बैक्टीरिया या वायरस यूरिन करने के दौरान बाहर निकल जाएंगे। हालांकि ऐसा करने से कुछ हद तक आराम मिल सकता है। लेकिन यह सही उपचार नही है। इसके लिए जब भी यूरिन करते समय जलन,बार बार यूरिन करने की इच्छा हो, बुखार आदि जैसे लक्ष्ण महसूस हो तो यूरिलोजिस्ट से संपर्क करना जरूरी है। इस अवस्था मे मरीज को समान्य पानी के बजाय उबला पानी केवल पीने के लिए ही नही बल्कि इससे नहाने के लिए कहते है।
मिथ
हाई ब्लड प्रेशर रोग का कारण बनता है।
सच
आधिक मात्रा में पानी पाने से बल्ड प्रेशर बढ जाता है जिससे हदय पर दबाव पड़ने के साथ रक्तनलिकाओ पर भी प्रेशर बढ़ता है। इस स्थित में व्यक्ति को थकान और बेचैनी जैसी समस्याओं की शिकायत होती है और बेचैनी जैसी समस्याओ की शिकायत होती है। इसके अलावा वाटर के कारण शरीर के कई अहम अंग पैरो, हाथों, किडनी, चेहरे आदि पर सूजन आ जाती है। अन्य अंगो मे भी सूजन के कारण व्यकित को किसी प्रकार दर्द महसूस नही होता।
मिथ
ज्यादा पानी पाचनतंत्र को सुधारता है
सच
पाचन प्रणाली के सही से कार्य न करने से कब्ज, दस्त, उल्टी या पेट में दर्द और बेचैनी की समस्या बनी रहती है, ऐसे में लोग यही सोचते हैं कि कम पानी पीने से पेट में गए भोजन को पचने मे परेशानी होती है, वे जरूरत से ज्यादा पानी पीते रहते हैं। ऐसा सोचना गलत है। असल में यह समस्या मेटाबाॅलिज्म के धीमे और तेज होन से संबधित है। यदि मेटाबाॅलिज्म धीमा होगा तो पाचन मे मददगार एंजाइम्स नही बन पाते है जिस वजह से खाना पच नही पाता। यदि पाचन संबंधी समस्या बार बार हो तो पहले किसी गेसटोएंटोलाॅजिस्ट को जरूर दिखाएं।
मिथ
शरीर से बाहर करता विषैले तत्वों की मात्रा
हमारा मेटाबाॅलिज्म नाइटोजेन्स वेस्ट प्रोडक्ट यानी यूरिया का निर्माण करता है। जिसे यूरिन के रूप मे शरीर से बाहर कर देती है। यह पूरी प्रकिया सामान्य और प्राकतिक होती है ऐसे में सामान्य से ज्यादा पानी पाने से विषैले तत्व बाहर नही निकलते साथ ही अन्य परेशानियों लेने लगते है। असल में अधिक पानी पाने से यूरिन बनने का पूरा मैकेनिजम डिस्टर्ब होने लगता है और जरूरी आयरन भी मिलकर बाहर निकल जाते है। यह स्थिति धीरे-धीरे शरीर मे इलेक्टोलाइट इम्बैलस की बनने लगती है जो आगे चलकर हाई ब्लड प्रेशर रोग को जन्म दे सकता है ।
इतनी मात्रा व ऐसे पीएं पानी
-सुबह के समय खाली पेट एक गिलास गुनगुना पानी पीना चहिए।
-दोपहर के खाने के बाद प्रत्येक घंटे के बाद एक-एक घंटे से पानी पी सकते है। ऐसा रात को सोने से पहले तक करे।
-पानी पाने का सही तरीका है कि पीने के 5 10 सैकड तक पानी को मुंह में रखो फिर निगलो।
-केवल उबला पानी-पाने की कोशिश करें। उबालने के 12 घंटे बाद ही यह पानी पाने लायक होता है।
-आपकी बाॅडी की जरूरत और को ध्यान में रखकर ही पानी की मात्रा तय करें।
-एक समय में पेट भरकर पानी पाने से बचे कोशिश करें कि थोडा पानी घूट घूट कर पानी पीना सही होता है।
-पानी की जगह आप चाहे तो कभी-कभार फलों या सब्जियों का जूस भी पी सकती है।
-भोजन करने के तुरंत बाद पानी नही पीना चहिए, वह वजन बढाने का कारण बन सकता है।
– यदि पानी पाने की जरूरत लगे भी तो एक कप पानी पी सकते है।