Friday, September 15th, 2017 14:20:01
Flash

पहले नहीं लड़ा गया भारत-चीन जैसा युद्ध, इन बातों ने बदला था इतिहास




Social
india china war

भारत और चीन के बीच मतभेद काफी पुराना है। आज इतने सालों बाद फिर दोनों देशों के बीच तनावं पैदा हो गया है और स्थिति युद्ध तक भी पहुंच सकती है। क्या आप ये जानते हैं कि 1962 में हुआ भारत-चीन युद्ध कई मायनों में दुनिया में हुए युद्धों से बेहद अलग था। इस युद्ध की ऐसी खासियतें थीं, जो पहले कभी नहीं देखीं गईं। यही नहीं इस युद्ध ने पूरे भारत को बदल दिया था और उसके इतिहास की दिशा को मोड़ दिया था। आइए आपको बताते हैं कि कैसे भारत-चीन युद्ध पूरी दुनिया के लिए रोचक बन गया।

पूरी दुनिया में यूं तो कई युद्ध हुए, लेकिन भारत-चीन युद्ध बहुत अलग था। इसकी वजह थी भारत और चीन के बीच पैदा हुआ सीमा विवाद। जिसमें दोनों ही देश अपने पक्ष पर अड़े हुए थ। हालांकि ऐसा नहीं है कि सीमा विवाद को लेकर दुनिया में युद्ध नहीं हुए, लेकिन यह युद्ध पूरे संयम, और हर तरह के कूटनीतिक प्रयासों की असफलता के बाद शुरू हुआ। खास बात यह थी कि चीन की ओर से संयम के छूट जाने के कारण हुआ, वरना नहीं होता।

Image result for india china war 1962 images

14 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ी गई लड़ाई
इस युद्ध की सबसे खास बात यह थी कि यह बेहद कठोर परिस्थितियों में लड़ा गया। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस युद्ध में ज्यादातर लड़ाई 4250 मीटर (14,000 फीट) से अधिक ऊंचाई पर लड़ी गई। अब चूंकि ज्यादातर लड़ाई ऊंचाई वाली जगह पर हुई थी। एक ओर जहां अक्साई चीन क्षेत्र समुद्र तल से लगभग 5,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित साल्ट फ्लैट का एक विशाल रेगिस्तान था तो वहीं दूसरी ओर अरुणाचल प्रदेश एक पहाड़ी क्षेत्र के रूप में मौजूद था, जिसकी कई चोटियां 7000 मीटर से अधिक ऊंची है।
सैन्य सिद्धांत के मुताबिक आम तौर पर एक हमलावर को सफल होने के लिए पैदल सैनिकों के 3:1 के अनुपात की संख्यात्मक श्रेष्ठता की आवश्यकता होती है। पहाड़ी युद्ध में यह अनुपात काफी ज्यादा होना चाहिए क्योंकि इलाके की भौगोलिक रचना दूसरे पक्ष को बचाव में मदद करती है। यानी की स्थितियां काफी अलग थीं। इधर, चीन इलाके का लाभ उठाने में सक्षम था और चीनी सेना का उच्चतम चोटी क्षेत्रों पर कब्जा था। दोनों पक्षों को ऊंचाई और ठंड की स्थिति से सैन्य और अन्य लोजिस्टिक कार्यों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और दोनों के कई सैनिक जमा देने वाली ठण्ड से मर गए।
यानी की इस तरह इतनी ऊंचाई पर दुनिया में पहले कभी भी कोई युद्ध नहीं लड़ा गया। ऐसी परिस्थितियों में जंग के कारण दोनों ही देशों के सैनिकों को रसद आपूर्ति, युद्धक और अन्य सामग्री के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। युद्ध की दूसरी सबसे अनोखी बात थी कि दोनों पक्ष ने नौसेना या वायु सेना का उपयोग नहीं किया। यह कदम सराहनीय था, सारी जंग जमीन पर ही हुई।
इस युद्ध की सबसे खास बात यह थी कि भले ही चीन ने अपनी आजादी के 15 साल पूरे कर रहे एक नये राष्ट्र पर हमला कर अपनी ताकत बताई थी, लेकिन उसकी यह जीत अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर उसकी हार साबित हुई और उसकी छवि पूरी दुनिया की नजरों में धूमिल हो गई।
इस युद्ध के बाद नेहरू ने सबक लिया और उनका यह सबक पूरी भारतीय सभ्यता और संस्कृ्ति को बदल गया। दरअसल, युद्ध के बाद नेहरू को अपनी विदेशनीति पर सोचना पड़ा और देश में एक देशभक्ति की लहर चली और इस लहर ने कई रियासतों, राज्यों, भाषा, प्रांत और धर्म की लड़ाई में उलझे पूरे भारत को एक कर दिया।

Sponsored



Follow Us

Yop Polls

तीन तलाक से सबसे ज़्यादा फायदा किसको?

    Young Blogger

    Dont miss

    Loading…

    Subscribe

    यूथ से जुड़ी इंट्रेस्टिंग ख़बरें पाने के लिए सब्सक्राइब करें

    Subscribe

    Categories