जानते हैं ? क्या है इंटरनेशनल कोर्ट और क्या काम है इसका
टीवी चैनल और न्यूज पेपर पर इन दिनों आप सभी ने इंटरनेशनल कोर्ट का जिक्र ज्यादा देखा होगा। इस पर आप सभी के मन में सवाल जरुर आया होगा कि आखिर ये इंटरनेशनल कोर्ट हैं क्या, और किस तरह से इसमें दूसरे देशों से जुड़े फैसले सुनाए जाते हैं, बताते हैं आपको इन सभी सवालों के जबाव-
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस या अंतरराष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र का महत्वपूर्ण न्यायिक अंग है, इसकी स्थापना 1945 में हुई थी। यह अदालत 1 जुलाई 2002 को अस्तित्व में आया था। अदालत की आधिकारिक बैठक द हेग, नीदरलैंड में होती है, लेकिन इसकी कार्यवाही कहीं भी हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुख्य चीजें
इंटरनेशनल कोर्ट में न्यायधीशों की संख्या 15 होती है, इसके संविधान में 5 अध्याय व 79 अनुच्छेद होते हैं। इस कोर्ट के भारतीय न्यायधीश डॉक्टर नगेन्द्र सिंह थे। इस कोर्ट में प्रत्येक 3 साल बाद 5 न्यायधीश सेवानिवृत्त होते हैं। इसके साथ मुख्य रुप से न्यायधीशों की नियुक्ति के संबंध में मुख्य शर्त होती है की दो न्यायधीश एक देश से नहीं चुने जा सकते हैं। इसके कुल 192 देश सदस्य हैं।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस की वेबसाइट के अनुसार इसका काम कानूनी विवादों का निपटारा करना है और अधिकृत संयुक्त राष्ट्र के अंगों और विशेष एजेंसियों के उठाए कानूनी प्रश्नों पर राय देना है। इंटरनेशनल कोर्ट के दो खास कर्तव्य हैं, पहला अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार यह कानूनी विवादों पर निर्णय लेता है , दो पक्षों के बीच विवाद पर फैसले सुनाता है। दूसरा महत्वपूर्ण कार्य ये कोर्ट संयुक्त राष्ट्र कि इकाइयों के अनुरोध पर राय देता है। एक तरह से इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस एक विश्व न्यायालय के रुप में काम करता हैं।
इस कोर्ट की दो मुख्य भाषा
संयुक्त राष्ट्र न्यायायल में 15 न्यायाधीश हैं, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद के चुने हुए होते हैं और इनका 9 साल का कार्यकाल होता है। इसके साथ ही इसकी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी और फ्रेंच हैं। यह एक कानूनी विवादों पर निर्णय लेता है।
दूसरे देश इस तरह से सहायता लेते हैं
चुकीं यह कोर्ट विश्व न्यायालय के रुप में काम करता है, तो जाहिर सी बात है कि कोई भी देश इस कोर्ट से मदद ले सकता है। जिस मामले में फैसला दो देशों से जुड़ा होता है, ज्यादातर वे केस इस कोर्ट में आते हैं। जैसे हाल ही में कुलभूषण जाधव का मामला है। दोनों देशों से सही जानकारी कोई तीसरा कोर्ट जब पूछता है तो मामले से जुड़ी सही जानकारी सामने निकलकर आती है। यही वजह है कि दूसरे देशों के मामले इस कोर्ट में सुनाए जाते हैं।
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