कॉलेज क्वीन से राष्ट्रपति तक का सफर
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देश की राजनीति में यूं तो कई महिलाओं का हाथ है लेकिन अगर एक सशक्त महिला नेता के रूप में देखा जाए तो इंदिरा गांधी का नाम सबसे पहले आता है। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व को जनता अब भी याद करती है। उसी तरह अगर बात भारत की पहली महिला राष्ट्रपति की करे तो श्रीमति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल का नाम कौन भूल सकता है।
साल 2007 में जब प्रतिभा पाटिल देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनी तो हर बच्चे-बच्चे की जुबां पर उनका नाम था। साधारण सी साड़ी, माथे पर बिंदी और आंखों पर चश्मा लगाने वाली प्रतिभा पाटिल का निजी जीवन भी सादगीपूर्ण है। प्रतिभाजी एक सफल राजनेता होने के साथ-साथ एक समाज सेविका के रूप में भी जानी जाती है।
प्रतिभा पाटिल बहुमुखी प्रतिभा की धनी है। बचपन में वे जहां टेबल-टेनिस खेलने की शौकीन रही तो अपने कॉलेज के दिनों में कॉलेज क्वीन बनी। इसके अलावा समाज सेवा और राजनीति में उन्होंने अपना जीवन गुजारा। 19 दिसंबर को उनके जन्मदिन के मौक पर हम आपको बताने जा रहे हैं उनकी ज़िन्दगी से जुड़ी कुछ ख़ास बातें…
पिता भी थे राजनेता
देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल का जन्म 19 दिसंबर 1934 नदगांव महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता नारायण राव पाटिल भी एक राजनेता थे। प्रतिभाजी की स्कूल एजुकेशन जलगांव के आर. आर. विद्यालय से हुई थी। इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई जलगांव के मूलजी जेठा कॉलेज से की थी।
टेबल टेनिस की बेहतरीन खिलाड़ी
इसके आगे प्रतिभाजी को कानून की पढ़ाई करना थी इसलिए वे मुंबई आ गई। यहां उन्होंने सरकारी लॉ कॉलेज से लॉ की पढ़ाई कीं। इसके बाद उन्होंने राजनीति विज्ञान एवं अर्थशास्त्र में मास्टर की डिग्री प्राप्त की। स्कूल के दिनों से उनका इंट्रेस्ट खेलकूद की तरफ रहा है। प्रतिभाजी टेबल टेनिस की एक बेहतरीन खिलाड़ी रह चुकी है।
बनी थी कॉलेज क्वीन
वर्तमान में प्रतिभाजी भले ही सादगी से परिपूर्ण हो लेकिन कॉलेज के दिनों में उनकी बाहरी खूबसूरती ने भी सबको आकर्षित किया। यही वजह थी कि 1962 में उन्होंने मूलजी जेठा कॉलेज में ‘कॉलेज क्वीन’ का खिताब जीता था। 7 जुलाई 1965 को प्रतिभाजी का विवाह देवसिंह रनसिंह शेखावत से हुआ था। प्रतिभाजी का 1 बेटा तथा 1 बेटी है।
सामाजिक कार्यो में लगता था मन
प्रतिभाजी के मन में शुरू से ही था कि उन्हें सामाजिक कार्य ही करना है। उनका मन सामाजिक गतिविधियों में ही लगता था। वे भारतीय महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए हमेशा कार्यरत रही। सामाजिक कार्यो में योगदान के लिए उन्होंने लॉ की डिग्री की थी ताकि वे सामाजिक कार्य कर सके। प्रतिभाजी ने वकालत की प्रैक्टिस जलगांव जिला कोर्ट से ही शुरू थी।
27 साल की उम्र में शुरू हुआ राजनीतिक सफर
प्रतिभाजी का राजनीतिक सफर 27 साल की उम्र में शुरू हुआ था। तब वे महाराष्ट्र के जलगांव सीट से विधानसभा सदस्य बनी। 1962 से लगातार 4 साल तक प्रतिभाजी मुक्ति नगर विधानसभा से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की टिकट प्राप्त कर जीतती रही और एमएलए के पद में विराजमान रही। प्रतिभाजी ने अपने जीवन में कई राजनीतिक तथा शासकीय पद संभाले।
अलग-अलग पदों पर किया काम
प्रतिभाजी महाराष्ट्र विधानसभा में वे कई साल तक अलग-अलग पदों पर कार्यरत रही। साल 1967-72 के बीच उन्होंने शिक्षा के उप मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। इसके बाद वे राष्ट्रीय शहरी सहकारी बैंक एवं ऋण संस्थाओं की निदेशक तथा भारतीय संघ की शासी परिषद की सदस्य रही। 8 नवंबर 2004 को वे राजस्थान की गर्वनर बनाई गई। साल 2007 में उन्हें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया।
राजनीति के अलावा प्रतिभाजी कई सामाजिक कार्यो में भी संलग्न रही। उन्होंने महिलाओं के कल्याण एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बहुत से कार्य किए। जलगांव जिले में उन्होंने महिला होम गार्ड की स्थापना की। निर्धन और जरूरतमंद महिलाओं के लिए सिलाई, संगीत एवं कम्प्यूटर की कक्षाएं भी खुलवाई। बच्चों के लिए नर्सरी स्कूल की स्थापना कीं।
राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने महिला विकास की ओर विशेष ध्यान दिया। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए उन्होंने महिला व बाल विकास के लिए कई नियमों का उल्लेखन करवाया। वे पद पर रहते हुए एक अच्दी सामाजिक कार्यकर्ता भी थी वे खुद समय-समय पर बच्चों एवं महिलाओं से मिलकर उनकी समस्या सुनती थी और उसके निवारण के लिए तुरंत कदम उठाती थी।
राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए उन्होंने कई कल्याण्कारी कार्य किए। 25 जुलाई 2012 को उनका कार्यकाल खत्म हुआ और वे अब पूरी तरह सामाजिक कार्यकर्ता की ज़िन्दगी जी रही है। उनका जीवन समाज को ही समर्पित रहा है। भारत की पहली महिला राष्ट्रपति पर पूरे देश को गर्व है। उनके जन्मदिन ढेरों शुभकामनाएं।
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