गर्वनर का पोता था बॉलीवुड का ये विलेन, घर से भागकर किया था फिल्मों में काम
इनकी फोटो को देखकर आपने ये अंदाज़ा तो लगा लिया होगा कि इनको आपने कई सारी फिल्मों में बतौर विलेन देखा है। इस एक्टर ने बॉलीवुड में कई सारी फिल्में की है लेकिन इनके बॉलीवुड में आने की कहानी काफी संघर्षवाली है। इन्हें आपने बतौर विलेन तो देखा लेकिन ये मुंबई कुछ और ही बनने आए थे और गलती से एक्टर बन गए। बॉलीवुड के इस बेहतरीन कलाकार के बारे में हम आपको कई सारी बातें बताने जा रहे हैं।
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इस अभिनेता को बॉलीवुड में ‘जीवन’ नाम से जाना जाता है लेकिन इनका असली नाम ओंकार नाथ धर था इनका जन्म 24 जून अक्टूबर 1945 को हुआ था और इनकी मृत्यु 10 जून को हुई थी। इनकी पुण्यतिथी के मौके पर ही हम आपको इनके बारे में कुछ ख़ास बातें बताने जा रहे हैं।
इनका सबसे यादगार किरदार नारद मुनि का है। इनके इस किरदार ने ऐसी छाप छोड़ी कि ये सभी के दिलों पर छा गए। जीवन अपने घर में 24 भाईयों में से एक है, उनकी सिर्फ एक बहन थी। उनके दादा गिलगिट बलिस्तान के गर्वनर हुआ करते थे। वे एक अच्छे घराने से थे और उनके घर में कोई नहीं चाहता था कि वो फिल्मों में काम करे।
जीवन को लगता था कि उन्हें मुंबई आकर फोटोग्राफी करना है, कैमरामैन बनना है लेकिन घरवालें उनके खिलाफ थे। जब वो 18 साल के हुए तो अपने इस सपने को पूरा करने के लिए घर से भागकर मुंबई आ गए। यहां उन्हें एक फिल्म स्टूडियो में रिफ्लेक्टर बॉय का काम मिला था। रिफ्लेक्टर बॉय का काम लकड़ी के टुकड़ों में चांदी के कागज चिपकाने का होता है।
एक बार इनके सिनेमेटोग्राफर ने इनसे कहा कि जाओ ये कागज चिपका लाओ लेकिन ध्यान रहे कि ये छांव में चिपके। ये उन चांदी के कागज को खुले में ले गए। वहां धूप कम थी इसलिए वो बाग में टहल रहे थे। उन्होंने देखा कि वहां पर एक नाटक की रिहर्सल चल रही थी। उनके नाटक में एक व्यक्ति कम था तो डायरेक्टर ने जीवन से कहा कि तुम कुछ डायलॉग बोल सकते हो।
तो जीवन ने हामी भर दी और डायलॉग बोलने लगे। डायलॉग बोलने के दौरान वे शेर भी बोलते थे, शेर बोलते समय वे इतने जज्बाती हो गए कि उनकी आंखों से आंसू निकल आए और सभी उनकी इस परफॉरमेंस पर तालियां बजाने लगे। लेकिन ये आंसू उस चांदी के कागज की चमक के थे जो धूप के निकलने से चमक रहा था। यहीं से जीवन को पहला ब्रेक फिल्म ‘फैशनेबल इंडिया’ में मिला।
इसके बाद तो जीवन ने एक्टिंग को ही अपना करियर बना लिया। उन्हें जैसे-जैसे रोल मिले उन्होंने उसे पूरी ईमानदारी के साथ निभाया। उन्होंने अपने करियर में इतने अलग-अलग वैरायटी के रोल किए कि उन्हें किसी एक जोन का एक्टर कह पाना मुश्किल होता है। उन्होंने बॉलीवुड में 60 से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया।
वैसे तो उन्होंने कई फिल्में की है। लेकिन उनका नारद वाला रोल सभी को हमेशा याद रहेगा। इसके अलावा वे विलेन के रोल में कई फिल्मों में नज़र आए। विलेन के रूप में उनका बोलने का अंदाज़ एक अलग ही छाप छोड़ता है। उनके नाम काला धंधा गोरे लोग, सनम तेरी कसम, बुलंदी, याराना, गैंबलर, नसीब, खंजर, सुहाग, गोपाल कृष्ण, अमर अकबर एंथॉनी, धरमवीर जैसी हिट फिल्में है।
जीवन की शादी किरण से हुई थी। शादी के बाद इन्होंने अपने घर का नाम ‘जीवनकिरण’ रखा था। जीवन साहब के दो बेटे हैं पहले तो किरण कुमार और दूसरे भूषण कुमार। आश्चर्य कि बात है कि फिल्मों में विलेन बनने वाले जीवन के बेटे किरण भी फिल्मों में विलेन बनकर ही सफल हुए। उनके दूसरे बेटे भूषण भी कई फिल्मों और टीवी सीरियल्स में नज़र आए।
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