ई-कामर्स के दिग्गज ने ही दुनिया को चेताया – इंटरनेट इकॉनॉमी में उथल-पुथल ला देगा
चीन के झंगझऊ में आयोजित एक एंटरप्रेन्योरशिप कॉन्फ्रेंस में दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग लि. के चेयरमैन जैक मा ने कहा कि हमें दशकों तक दर्द सहने के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि इंटरनेट दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मचा रहा है। उन्होंने दुनियाभर में शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की जोरदार वकालत की और कहा कि रोबोट्स के साथ काम करने की एजुकेशन मिलनी चाहिए ताकि स्वचालन (ऑटोमेशन) और इंटरनेट आधारित अर्थव्यवस्था (इंटरनेट इकॉनॉमी) से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
अगले 30 सालों में दुनिया को दुख देखना होगा
उन्होंने कहा, ‘अगले 30 सालों में दुनिया को खुशी से कहीं ज्यादा दुख देखना होगा।’ मा ने इसके लिए इंटरनेट की वजह से नौकरियों में होनेवाली कमी का हवाला दिया। उन्होंने आगे कहा, ‘अगले तीन दशकों में सामाजिक संघर्षों का असर सभी तरह के उद्योगों और जीवन के सभी पहलुओं पर पड़ेगा।’ अलीबाबा के सह-संस्थापक का यह सालाना भाषण थोड़ा अलग था क्योंकि अक्सर वह अपनी भूमिका में एक दूरदृष्टा की छवि गढ़ना चाहते हैं और भविष्य के प्रति आश्वस्त करने का वादा करते हैं।
पारंपरिक व्यापार बर्बाद हुआ, अभी और असर बाकि
जैक मा ने समारोह में कहा कि उन्होंने ई-कॉमर्स के शुरुआती दिनों में लोगों को चेतावनी देने की कोशिश की थी कि यह पारंपरिक खुदरा दुकानों को बर्बाद कर देगा, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। इस बार भी वे नई तकनीकों के असर को लेकर फिर से चेतावनी देना चाहते हैं ताकि भविष्य में यह किसी को अचंभा नहीं लगे। मा ने कहा, ’15 साल पहले हमने भाषणों में लोगों को 200 से 300 बार याद दिलाया कि इंटरनेट सभी उद्योगों को प्रभावित करेगा, लेकिन लोगों ने इसे अनसुना कर दिया क्योंकि तब मैं कुछ नहीं था।’
अलीबाबा की हो सकती है अमेज़ॉन के साथ भिड़ंत
गौरतलब है कि चीन की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ने फिल्म प्रॉडक्शन से लेकर विडियो स्ट्रीमिंग और फाइनेन्स से लेकर क्लाउड कंप्यूटिंग तक, कई नए बिजनेस में करोड़ों डॉलर का निवेश किया। चीनी उपभोक्ताओं की नब्ज पकड़ने में माहिर अलीबाबा ने दूसरे देशों में भी कारोबार के विस्तार पर नजरें गड़ा रखी हैं। इसकी शुरुआत दक्षिण एशिया में कदम रखने के लिए लजाडा ग्रुप SA पर नियंत्रण प्राप्त करने के साथ हो गई। अलीबाबा की विस्तारवादी नीति से अमेज़ॉन जैसी ग्लोबल ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ उसकी भिड़ंत की आशंका है।
52 वर्षीय जैक मा पारंपरिक बैंकिंग उद्योग की भी काफी आलोचना करते हैं। उनका कहना है कि समाज के ज्यादा से ज्यादा लोगों को लोन मुहैया किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छी लोन व्यवस्था के अभाव की वजह से सबको सजा भुगतना पड़ता है।
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