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भारतीय सेना ने हमेशा युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया है। सेना में देश का हर युवा शामिल होकर वतन की रक्षा करना चाहता है। रक्षा के क्षेत्र में करियर देश में सबसे सम्मानित करियर में से एक माना जाता है। सेना, बतौर करियर तो अच्छा क्षेत्र है ही, देश के लिए कुछ करने का सशक्त माध्यम भी है। ऐसे युवा जो उत्साह, साहस एवं चुनौतियों से भरे क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए रक्षा क्षेत्र सबसे बेहतर विकल्प है क्योंकि यह उनकी सारी पेशेवर उम्मीदों की पूर्ति करता है। जोश, जुनून और जज्बे से भरे इस क्षेत्र में करियर की असीम संभावनाएं हैं। तो जानिये कैसे बना सकते है आप थल सेना में करियर…
भारतीय थल सेना में समय-समय पर भर्ती अभियान चलता रहता है। यह अभियान खुली भर्ती के रूप में भी चलाया जाता है। भारतीय सेना में खुली भर्ती का उद्देश्य भारतीय सेना में पारदर्शिता को लाना है। भारतीय सशस्त्र बल समान रूप से पेशेवर सेवाएँ देने वाला भारत का सैन्य बल है जिसके अंतर्गत भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना एवं भारतीय तटरक्षक बल आते हैं। विभिन्न अर्ध-सैनिक बल संगठन एवं अंतर-सेवा संगठन भारतीय सशस्त्र बलों को सहायता प्रदान करते हैं। रक्षा मंत्रालय भारतीय सशस्त्र बलों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। अगर आप सैनिक के रूप में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो थल सेना आपके लिए अच्छा ऑप्शन है।
भारतीय थल सेना की जानकारी:-
सेना के अंतर्गत दो स्थाई एवं शार्ट सर्विस कमीशन होते हैं। स्थाई कमीशन देहरादून के भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) एवं शार्ट सर्विस कमीशन (SSC) चैन्नई के अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (OTA) के माध्यम से प्रदान किया जाता है। अगर आप सेना में स्थाई रूप से अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो आप स्थाई कमीशन के विकल्प का चयन करते हैं। इसमें आप अपनी सेवानिवृत्ति तक सेना को अपनी सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं। SSC उन लोगों के लिए बेहतर विकल्प है जो अल्पकालीन अवधि के लिए अपनी सेवाएँ देना चाहते हैं। इसमें आपके पास यह विकल्प होता है कि आप सेना में कमीशंड अधिकारी के रूप में शामिल होकर पांच वर्ष तक अपनी सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं। पांच वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद आपके पास स्थाई कमीशन को चुनने का विकल्प होता है। वैकल्पिक रूप से, आप इसमें पांच साल का विस्तार भी ले सकते हैं एवं इस अवधि के दौरान किसी भी समय आप अपना पद छोड़ सकते हैं।
सेना में दों तरह से भर्तियां की जाती है:-
1. नॉन टेक्निकल
- इन्फेंटरी आर्म्ड कोर
- आर्टिलरी
2. टेक्निकल
- कोर ऑफ इंजीनियर्स
- कोर ऑफ इलेक्ट्रीकल एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स
- कोर ऑफ सिगनल्स
- प्रशासनिक एवं सहायक सेवाएं
- आर्मी सर्विस कोर
- आर्मी पोस्टल कोर
- आर्मी ऑर्डिनेंस कोर
- आर्मी एजुकेशन कोर
- रिमाउंट एंड वेटरिनेरि कोर, जज, एडवोकेट
- जनरल कोर, कोर ऑफ मिल्रिटी
- इंटेलिजेन्स कोर
- आर्मी कैन्टीन सेवा
- आर्मी पायनियर कोर
- डिफेन्स सिक्योरिटी कोर
योग्यता और उम्र
सैनिक– तकनीकीः 10+2/ इंटरमीडिएट परीक्षा विज्ञान में भौतिकी, रसायन, गणित/ जीव विज्ञान और अंग्रेजी के साथ 50 प्रतिशत अंकों में उत्तीर्ण हों और निश्चित ट्रेड के लिए प्रत्येक विषय में कम से कम 40 प्रतिशत अंक हों। आयु सीमा 17 वर्ष 6 माह से 23 वर्ष के बीच होना चाहिए।
भर्ती की तिथियां
भर्ती किस स्थान पर और किन तिथियों में आयोजित की जायेगी, इसकी सूचना शाखा भर्ती कार्यालय तथा अखबारों में दी जाती है। मुख्यतः भर्ती सुबह 7 बजे से शुरू होती है, लेकिन उच्च मुख्यालय द्वारा बदलाव किया जा सकता है।
परमानेंट कमीशन से एंट्री
जब आप परमानेंट कमीशन का विकल्प चुनते हैं तो इसका अर्थ है कि आप आर्मी में सेवानिवृत्त होने तक देश की सेवा करना चाहते हैं। एनडीए, पुणे व आई एम ए, देहरादून ऐसे दो संस्थान हैं, जहां ट्रेनिंग पूरी करने के बाद आप परमानेंट कमीशन पा सकते हैं।
एनडीए (NDA)
इस परीक्षा में बैठने के लिए आपका 12वीं पास होना आवश्यक है। आप 12वीं कक्षा में पढते हुए भी एनडीए परीक्षा दे सकते हैं। आर्मी विंग के लिए किसी भी विषय में 12वीं पास होना चाहिए, वहीं अन्य फोर्सेज के लिए विज्ञान विषय जरूरी होते हैं। उम्र सीमा 16 वर्ष 6 माह से अधिकतम 19 वर्ष।
परीक्षा का आयोजन
यह परीक्षा साल में दो बार अप्रैल और सितंबर में आयोजित की जाती है। लिखित परीक्षा पास करने के बाद आपको एसएसबी इंटरव्यू के लिए चुना जाता है। यह इंटरव्यू पांच दिन का होता है और इसमें आपकी मेंटल स्ट्रेंथ देखी जाती है। इस इंटरव्यू को पास करने के बाद आपको मेडिकल परीक्षा देनी होती है, जिसमें सफल होते ही आपको एनडीए में दाखिला मिल जाता है।
सीडीएसई (CDSE)
आप स्नातक के अंतिम वर्ष में हैं या स्नातक उत्तीर्ण हैं तो प्रवेश परीक्षा सीडीएसई (कम्बाइंड डिफेंस सर्विसेज एग्जामिनेशन) के लिए आवेदन कर सकते हैं। सीडीएसई प्रवेश परीक्षा साल में दो बार (फरवरी व सितंबर में) आयोजित की जाती है। इसमें आवेदन करने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 19 और अधिकतम आयु सीमा 24 वर्ष है। सीडीएसई की परीक्षा विश्लेषणात्मक होती है और इसमें उम्मीदवार की रीजनिंग पावर को जांचा-परखा जाता है। बेसिक एग्जामिनेशन क्लियर करने के बाद चयनित उम्मीदवारों को एसएसबी की इंटरव्यू प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है। मानसिक व शारीरिक दक्षता के अलावा नेतृत्व क्षमता की भी जांच की जाती है। उम्मीदवारों को विभिन्न प्रकार के साइकोलॉजिकल टेस्ट यानी कि एसआरटी (सिचुएशन रिएक्शन टेस्ट), सेल्फ अप्रेजल टेस्ट व ग्रुप डिस्कशन आदि से भी गुजरना पड़ता है।
टेक्निकल एंट्री
फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथमेटिक्स विषयों के साथ अगर आपने 10$2 की परीक्षा कम से कम 70 फीसदी अंकों के साथ पास की है तो आप टेक्निकल एंट्री के लिए आवेदन कर सकते हैं। अगर आप आवश्यक योग्यता व दक्षता की शर्तों को पूरा करते हैं तो आपको एसएसबी इंटरव्यू के लिए भेजा जा सकता है। इसमें चयनित उम्मीदवारों को आईएमए में एक साल की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद पुणे स्थित कॉलेज ऑफ मिल्रिटी इंजीनियरिंग, सिकंदराबाद स्थित कॉलेज ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग या मध्य प्रदेश के महू स्थित मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन में चार साल का डिग्री कोर्स करना पड़ता है।
टेक्निकल ग्रेजुएट कमीशन (TGC)
टेक्निकल ग्रेजुएट उत्तीर्ण व अंतिम वर्ष के वे छात्र भी इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिनकी उम्र सीमा 20-27 होती है। वहीं 23-27 उम्र के ही स्नातकोत्तर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। आप सीधे एडीजी रिक्रूटमेंट को अपना आवेदन भेज सकते हैं। चयन प्रक्रिया में पास होने के बाद आईएमए देहारादून में एक साल की ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है।
यूनिवर्सिटी एंट्री स्कीम
कमांडिंग स्क्रीनिंग टीम टेक्निकल ग्रेजुएट्स के लिए कैम्पस में ही इंटरव्यू आयोजित करती है। अंतिम वर्ष के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के लिए यह एक अच्छा मौका होता है, जहां कुछ चुने हुए छात्रों को एसएसबी इंटरव्यू व मेडिकल चेकअप के लिए बुलाया जाता है। चयन होने पर उन्हें एक साल की ट्रेनिंग दी जाती है।
स्पेशल फोर्सेज
विभिन्न प्रकार की आपातकालीन परिस्थितियों में उच्च दक्षता प्राप्त व विशेष रूप से प्रशिक्षित कमांडोज को पदस्थापित किया जाता है। इसके तीन अंग हैं-मरीन कमांडो, पैरा कमांडो व एनएसजी यानी कि नेशनल सिक्योरिटी ग्रुप या ब्लैक कैट्स कमांडो। आर्म्ड फोर्सेज के ऑफिसर को ही स्पेशल फोर्स में पदस्थापित किया जाता है। इस सेवा के लिए चयनित ऑफिसर्स में से महज 10 फीसदी को ही प्रशिक्षण के लिए अनुशंसित किया जाता है। इसके बाद शुरू होता है कठोर प्रशिक्षण का दौर। इस दौरान इन्हें हाई-रिस्क ड्यूटी में भी अव्वल प्रदर्शन करने के लायक बना दिया जाता है।