कल से उत्सवों का दौर शुरू हो रहा है, कल सभी क्लेश और विघ्नों को हरने के लिए गणपति बप्पा पधारेंगे और सभी भक्तों की ये कोशिश रहेगी कि वो गणेशा को अपने घर ला कर उन्हें प्रसन्न करें और गणेशा उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करें। भक्तगण अपने-अपने घरों में व बड़े-बड़े पंडालों में गणेशा की मूर्ति स्थापित करेंगे और नियम और निष्ठा पूर्वक 10 दिनों तक पूजन कर मंगल कामनाएं करेंगे।
वैसे तो गनपति का हर रूप और स्वरूप बहुत ही मंगलकारी होता है और गनपति हर स्वरुप में अपने भक्तों पर अपनी कृपा भी बरसाते हैं, लेकिन शास्त्रों के अनुसार गणपति की पूजन विधि और मूर्ति स्थापना की भी विधि है और गणेश प्रतिमा को लेकर भी कुछ नियम बताए जाते हैं।
आइये जानते हैं किस तरह की गणेश प्रतिमा को स्थापित करना चाहिये।
गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर जब घर लाएं तो सबसे पहले यह ध्यान रखें कि गणेश जी की सूंड बाएं हाथ की ओर मुड़ी हुई हो। ऐसी मान्यता है कि दाएं हाथ की ओर मुड़ी हुई सूंड वाली गणेश प्रतिमा की पूजा से मनोकामना सिद्ध होने में देर लगती है क्योंकि इस तरह की सूंड वाले गणेश जी देर से प्रसन्न होते हैं।
गणेश जी की प्रतिमा लाएं तो यह भी ध्यान रखें कि गणेश जी की मूर्ति सायुज और सवाहन हों। यानी गणेश जी के हाथों में उनका एक दंत, अंकुश और मोदक होना चाहिए। गणेश जी एक हाथ वरदान की मुद्रा में हो और साथ में उनका वाहन मूषक भी होना चाहिए। शास्त्रों में देवताओं का आवाहन इसी रुप में होता है।
अपनी मनोकामना के अनुसार कैसी मूर्ति स्थापित करें-
- संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले भक्तों को गणेश भगवान के बाल स्वरुप की मूर्ति को घर लाना चाहिये, और इस स्वरुप का पूजन विधि पूर्वक करना चाहिये। ऐसा करने से संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है।
- घर में धन आनद और उत्साह की कामना करने वाले भक्त अपने घरों में बाप्पा की नृत्य मुद्रा की मूर्ति को स्थापित करें और पूजन करें तो घर में धन धन्य और उमंग- उत्साह बना रहता है। कला जगत से जुड़े भक्त गणेश के इस स्वरुप का पूजन करते हैं तो उनकी कला में निखर आता है।
- व्यावसायिक रूप से काम करने वाले भक्तों को सिंदूरी स्वरुप के गणपति को विराजमान करना चाहिए। सिंदूरी रंग में रंगे गणेशा। सफलता के दाता हैं।