दुनिया का आठवां अजूबा बन सकता है ये बौद्ध स्मारक!
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इस दुनिया में सात अजूबे तो पहले से ही है लेकिन अब आठवें अजूबे की तलाश की जा रही है। बहरहाल, इसी बीच अमेरिका के एक प्रतिष्ठित इतिहासकार और विद्वान अमजद हुसैन ने पाकिस्तान सरकार से मांग की है कि वह प्राचीन बौद्ध स्मारक ‘कनिष्क स्तूप’ को दुनिया का आठवां अजूबा बनाने में उनकी मदद करे। इस संबंध में इतिहासकार ने पाकिस्तान सरकार से कहा है कि वह यूनेस्को से बात करे। स्मारक को आठवें अजूबे का दर्जा दिलाने के लिए इतिहासकार हुसैन ने कई वजह बताई हैं।
क्या है इस बौद्ध स्मारक में ख़ास?
इतिहासकार हुसैन ने इस स्मारक को दुनिया का आठवां अजूबे का दर्जा दिलाने का प्रमुख आधार इस स्तूप का शानदार निर्माण ढांचा बताया है। उनका मानना है कि यह स्मारक एक समय पर पेशावर में रहा है। इसके अलावा हुसैन का कहना है कि यह स्तूप दुनिया में अपनी महत्वपूर्ण संरचना, इंसानी मेहनत की रचनात्मकता की बानगी की वजह से आठवां अजूबा घोषित किए जाने के योग्य है।
इस प्राचीन स्थल के इतिहास के बारे में हुसैन का कहना है कि पेशावर शहर से कुछ दूरी पर स्थित गंज गेट पर एक ऐसा स्तूप हुआ करता था जो कि पहली सदी में ईसा पश्चात कुषाण कनिष्क के शासनकाल में बना था। इस स्थान को शाह जी की ढेरी के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि इस स्तूप का जिक्र ऐतिहासिक किताबों में भी किया गया है।
16 विषयों पर किताबें लिख चुके हैं हुसैन
पेशावर के हुसैन अमेरिका में हृदय संबंधी समस्याओं के प्रोफेसर हैं। वह अब तक इतिहास, संस्कृति, धर्म, पेशावर की भाषाई और सांस्कृतिक विरासत जैसे अलग विषयों पर 16 पुस्तकें प्रकाशित कर चुके हैं।
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