छेड़छाड़, इव टीजिंग, बलात्कार या फिर मर्डर। सुनने में बहुत ही इजी वर्ड लगते हैं लेकिन हैं बहुत भारी-भरकम। छेड़छाड़ लड़कों या लड़कियों के लिए हो सकता है टाइमपास हो लेकिन उससे पूछे जिसके साथ हो रही है उसके दिल पर उसके दिमाग पर कैसी चोट करके जाती है। छेड़छाड़ उससे पूछो जिसे घर पर हर मिनट का हिसाब देना होता है।
छेड़छाड़ होना देश में आजकल आम बात हो गई है। भले ही देश में एंटी रोमियो स्क्वाड है, भले ही पुलिस है लेकिन छेड़छाड़ करने वाले जगह, वक्त और शिकार तीनों ढूंढ ही लेते हैं। पेपर की हेडलाइन पर हम रोज पढ़ते हैं। छेड़छाड़ तो फिर भी आम है लेकिन बलात्कार, बलात्कार जैसा घिनौना काम करने से भी लोग आजकल नहीं चूकते।
बलात्कार भी जिस पर होता है वो ही जान सकता है। लोगों की मेंटलिटी क्या कहती है ये तो लोग ही जाने फिर भी कई लोगों का मानना होता है कि लड़की रात को अकेली निकली तो वो ……….. है। अब जो भी है लेकिन ये उसे सर्टिफाइ करने की निशानी नहीं है। जिस तरह लड़के रात में बाहर जा सकते हैं लड़कियां भी जा सकती है।
रात में लड़कियों के बाहर निकलने के प्रयास के लिए कुछ समय पहले एक कैंपेन ‘मेरी सड़क मेरी रात’ भी चलाया गया था लेकिन आजकल की दुनिया जितनी जल्दी किसी चीज़ को पॉपुलर करती है उतनी ही जल्दी उसे भूल भी जाती है। हाल ही में यूट्यूब पर एक वीडियो देखने को मिला। जो एक लड़की की भावनाओं को बताता है।
इस वीडियो में आवाज तो लड़के की है लेकिन जज्बात एक लड़की के ही है। वो लड़की जो रात को एक बजे अपने काम से वापस घर जा रही है। वो लड़की जो अंधेरी सड़कों से गुजरते हुए, डरते, सहमते अपने घर को जा रही है। उसी रास्ते पर ये लड़का भी जा रहा है जिसे देखकर लड़की घबराहट में अपनी रफ्तार बढ़ा लेती है।
घबराई लड़की को देख लड़के के अंदर का इंसान जागता है जो शैतान नहीं है। वो लड़का तेजी से अपनी गाड़ी आगे ले लेता है और फिर लड़की की तरफ देखता है। वो देखता है कि उसके चेहरे पर अब कितना सुकुन है। वो खुश है कि जिनसे उसे खतरा हो सकता था वो अब जा चुका है। वो खुश है कि वो अब कल के पेपर की हेडलाइन नहीं बनेगी।
वो खुश है कि कल वो सोशल मीडिया पर वायरल नहीं होगी,
वो खुश है कि उसे किसी नेता के स्टेटमेंट का जवाब नहीं देना होगा,
वो खुश है….