कैसे होते हैं लोन सस्ते और महंगे, पढ़ें पूरी प्रोसेस
बुधवार को दिनभर ख़बरों में था कि लोन सस्ते हो सकते है, आपके लिए होम लोन और व्हीकल लोन में इंट्रेस्ट पर छूट मिल सकती है। दरअसल बुधवार को आरबीआई ने मॉनीटरी पॉलिसी जारी की जिसमें आरबीआई ने कोई बदलाव नहीं किया। अगर इसमें बदलाव किए जाते तो लोन सस्ते और महंगे हो सकते थे। अब ये लोन महंगे और सस्ते कैसे होते आइए आपको बताते हैं…
आरबीआई हमारे देश का सेंट्रल बैंक है जिसका काम देश में चल रहे कमर्शियल, प्राइवेट सेक्टर, पब्लिक सेक्टर, स्पेशलाइज्ड और बाकी के सभी बैंको के लिए मॉनीटरी पॉलिसी तैयार करना है। आरबीआई देश में करंसी तो इश्यू करती ही है साथ ही देश के सभी बैंकों को रेग्यूलेट और मॉनीटरिंग करने का काम भी आरबीआई करती है।
आरबीआई को बैंकिंग की भाषा में ‘बैंकर ऑ दी बैंक’ भी कहा जाता है क्योंकि जिस तरह हमारे लिए एसबीआई, पीएनबी ये सभी बैंक है उसी तरह इन बैंकों के लिए भी एक बैंक है जो आरबीआई यानि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है। जिस तरह हम अपना पैसा और सिक्योरिटी बैंक में जमा करके सिक्योर रखते है ठीक उसी तरह आरबीआई बैंकों के लिए काम करता है।
जिस तरह बैंक हमारे लिए काम करते है ठीक उसी तरह आरबीआई भी बैंकों के लिए काम करता है। उनका कैश अपने पास जमा भी करता है और जरूरत पड़ने पर उन्हें लोन भी देता है। आरबीआई बैंकों के लिए देश की अर्थव्यवस्था के हिसाब से हर दो महीने में मॉनीटरी पॉलिसी जारी करते है जिसके कारण बैंक लोन सस्ते या महंगे करते है।
आरबीआई जब भी मॉनीटरी पॉलिसी लागू करती है तो इसमें रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट बढ़ते या कम होते है। आपने ख़बरों में भी पढ़ा होगा। इसके साथ ही आरबीआई ये भी गाइडलाइन जारी करती है कि बैंकों का सीआरआर और एसएलआर इतना-इतना रहेगा। बैंकों को ये सारे नियमों का पालन करना होता है और यहीं से शुरू होती है लोन को महंगा और सस्ता करने की कहानी। नेक्सट पेज पर पढ़ें पूरी स्टोरी…
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