आपने छोटी लाइन की गाड़ियां तो देखी ही होंगी, हालांकि ये अभी चलन से बाहर हो रही है इनका रंग भी आपको याद होगा। गहरे लाल रंग की इस ट्रेन में जब आप सफर करते थे तो ये काफी ज़्यादा हिलती थी। इसके चलने पर गाड़ी में आवाज़ भी काफी आती थी। इन्हीं मानको को ध्यान में रखते हुए ट्रेन के कोच डिजाइन किए जाते हैं जो अलग-अलग तरह के होते हैं।
सबसे पहले हम आपको बताते हैं उन कोच के बारे में जिनमें आपने सबसे ज़्यादा सफर किया है। नीले रंग के रेल्वे कोच में आपने सबसे ज़्यादा सफर किया होगा। इन कोच को इंटीग्रल कोच कहा जाता है जिन्हें इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार किया जाता है। भारत में सबसे ज़्यादा यही कोच इस्तेमाल किए जाते हैं।
इंटीग्रल कोच फैक्ट्री तमिलनाडु के चेन्नई में स्थित है। इसकी स्थापना 1952 में की गई थी। ये फैक्ट्री इंडियन रेल्वे के अधीन काम करती है। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में हर तरह के इंटीग्रल कोच बनाए जाते हैं जिनमें जनरल, एसी, स्लीपर, डेमू और मेमू कोच शामिल हैं। इस फैक्ट्री से कई दूसरे देशों जैसे थाईलैंड, बर्मा, ताइवान, जाम्बिया, फीलिपिंस, तंजानिया, युगान्डा, वियतनाम, बांग्लादेश में निर्यात किया जाता है।
नेक्सट पेज पर पढ़ें सिल्वर और लाल रंग के रेल्वे कोच के बारे में…