राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिसे हम आरएसएस के नाम से भी जानते हैं। यह नाम अपने आप में ही परिपूर्ण है। आपने अक्सर आरएसएस का नाम सुना होगा कभी आलोचनाओं में तो कभी सराहनाओं में। लोगों का कहना है कि संघ कट्टर हिन्दूवादी एक धर्म का होकर अन्य धर्मों के प्रति पूर्वाग्रहों से ग्रसित हो दुश्मनी सा भाव रखते है लेकिन क्या ऐसा सच में है। इस बात में कितना दम है इसे आप आरएसएस की जुबानी ही जान सकते हैं।
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। इसका सहयोग आम जनता से लेकर राजनीति तक में है। संघ के काम के बारे में जो दिखाया जाता है, जो बताया जाता है वो संघ का काम नहीं है बल्कि संघ के स्वयंसेवकों का काम है। संघ का काम तो सिर्फ़ शाखा चलाना है। शाखाओं में मनुष्यों का निर्माण होता है और यह सुनिश्चित करना कि ऐसा ही माहौल पूरे देश में निर्मित्त हो।
इतना सा काम है संघ का
“संघ कुछ नहीं करता और स्वयंसेवक कुछ नहीं छोड़ते, सब कुछ करते हैं” बस इतनी छोटी सी बात संघ 1925 से समझा रहा है। जो कुछ लोगों समझ में नहीं आता है इसलिए संघ पर विश्वास नहीं होता इसलिए संघ को समझने का प्रयास करना पड़ता है। “संघ की तरह का कोई दूसरा मॉडल आज नहीं है, जिससे संघ की तुलना की जा सकें, ऐसा पूरी दुनिया में कोई दूसरा मॉडल नहीं है।”
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