हिंन्दुओं के लिए जैसे दिवाली का त्योहार सबसे बड़ा त्योहार रहता है, उसी तरह दक्षिण भारत में ओणम एक बड़ा त्योहार होता है। इस त्योहार को लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। चारों तरफ रोशनी और सजावट का माहौल , बाजारों में रौनक रहती है। लेकिन आखिर 10 दिन इस त्योहार को मनाया कैसे जाता है , ये शायद ही आप जानते हों। आइए , आज हम आपको बताते हैं ओणम के उन दस दिनों के बारे में जब लोग अलग-अलग रिवाज फॉलो करते हैं।
पहले दिन: पहले दिन लोग सुबह-सुबह मंदिर जाते हैं। घरों को फूलों की रंगोली जिसे पूकलम्स कहते हैं से सजाते हैं। ये फूलों की रंगोली पहले दिन आपको हर दक्षिण भारतीय के मुख्य द्वार पर सजी मिलेगी। खास बात ये है कि रंगोली में इस्तेमाल किए गए फूल एकदम फ्रेश होते हैं। अथाचमयन कहते हैं पहले दिन को। इस दिन लोग विभिन्न अवतारों को धारण कर सड़कों पर नृत्य करते हैं। ये जश्र शुरू होता है त्रिपुनिथुरा से वमनमूर्थि मंदिर तक।
दूसरा दिन: चिथिरा
दूसरे दिन घर के द्वार को पीले और नारंगी फूलों से सजाते हैं। लोग अपने परिवारों के साथ मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं और महाबलि के आने का इंतजार करते हैं।
तीसरा दिन: छोदी
इस दिन लोगों के बाजार में जाकर नए कपड़े खरीदने की परंपरा है। इस दिन भी घरों में बड़ी रंगोली बनाने का प्रचलन है।
चौथा दिन: विसकम
इस दिन कई परिवारों में ओणम साध्य बनाया जाता है। इसका मतलब है कि इस दिन घरों में कम से कम 26 विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं।
पांचवा दिन: अनिजम
ओणम के पांचवे दिन स्नेक बोट रेस शुरू होती है। ये रेस हर साल केरला की पंबा नदी पर होती है। जिसमें हजारों लोग हिस्सा लेने पहुंचते हैं।
छठां दिन: त्रिकेटा
छठे दिन को त्रिकेटा कहते हैं। इस दिन लोग अपने रिश्तेदारों के यहां उपहार लेकर जाते हैं। इस दिन पुल्लीकली, कायकोट्टीकली जैसी सांस्कृतिक गतिविधियां भी आयोजित होती हैं।
सांतवा दिन: मूलम
इस दिन घर के लोग झूला झूलते हैं। झूले को फूलों से सजाया जाता है। कहा जाता है कि महिलाएं महाबलि के आगमन की खुशी में झूला झूलती हैं।
आंठवा दिन: पूरणम
इस दिन फूलों की रंगोली के बीच ओनथ्थपन नाम की क्ले की पिरामिड नुमा स्टैच्यू की पूजा की जाती है। ये स्टैच्यू राजा महाबलि और वामनन को रिप्रेजेंट करती है।
नौवां दिन- उथ्रदम
ओणम के नौंवे दिन लोग सब्जी और फल खरीदकर लाते हैं।
दसंवा दिन- ओणम ओणम
दसवें दिन को ओणम ओणम कहा जाता है। इस दिन लोग नए कपड़ों में तैयार होते हैं, जिसे ओन्नाकोणी कहा जाता है।