तो इसलिए दीवाली की रात खेलते हैं ताश के पत्ते
दिवाली को अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं। ऐसे में कई लोग इस दिन ताश के पत्ते भी खेलते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों। आखिर दीवाली की रात ही क्यों ताश के पत्ते खेले जाते हैं। अगर नहीं तो बता दें कि हिंदू पौरणिक कथाओं के अनुसार दीवाली की रात को ताश का खेलना बहुत शुभ माना जाता है और कहा भी जाता है कि इसी दिन माता पार्वती ने भगवान शिव के साथ ताश के पत्तों को रात भर खेला था और दोनों के बीच प्यार बढ़ा था। हालांकि शिव व पार्वती द्वारा दीवाली पर ताश के पत्ते खेलने का ठोस तथ्य किसी ग्रंथ में नहीं मिलता।
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माना जाता है कि माता पार्वती इतनी खुश हो गई थी कि उन्होंने कहा कि इस रात जो भी इन्हें खेलेगा तो उसके घर में बहुत समृद्धि आएगी। तभी से आजतक इस प्रथा ने कई रूप ले लिए। फिलहाल वर्तमान समय में कार्ड पार्टी के रूप में मनाया जाता है। चूँकि इस दिन बहुत बड़ा फेस्टिवल भी होता है इसीलिए लोग आपस में मिलते-जुलते हैं, डीनर करते हैं। साथ ही कार्ड खेलने से वो एक-दूसरे के साथ टाइम स्पेंड करते हैं।
ऐसा भी माना जाता है कि घर में कार्ड पार्टी का आयोजन करने से अच्छा भाग्य और समृद्धि आती है। लक्ष्मी पूजा के बाद डीनर आदि करने के पश्चात् ही कार्ड को खेलना शुभ होता है।