राइट टू प्राइवेसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना बड़ा फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने कहा है कि राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकारों के तहत आता है। ऐसे में आपके लिए ये जानना भी बेहद जरूरी है कि दुनिया के बाकी देशों में निजता को लेकर आम लोगों के पास क्या अधिकार है। यानि की कोई भी देश अपने नागरिकों की किस हद तक निजी जानकारी ले सकते हैं।
अमेरिका – अमेरिका में निजता को लेकर कोई मजबूत कानून नहीं है। वहां ये अधिकारी केवल देश के बजाए हर राज्य को दिया गया है कि वह अपनी जरूरतों के हिसाब से कानून बना सकता है। बता दें कि अमेरिका में निजता से जुड़े हुए जो कानून हैं, वो भी हर क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग हैं।
यूरोपियन यूनियन- यूरोपियन यूनियन में निजता को लेकर कानून 1998 में बनाया था। इस कानून के तहत कानूनी तौर पर सही इस्तेमाल के लिए कोई भी डाटा लिया जा सकता है। हालांकि ये जरूर है कि डाटा किस काम के लिए लिया जा रहा है इसका स्पष्टीकरण देना होगा। इसके बाद ही डाटा उपलब्ध कराया जाएगा।
फ्रांस- फ्रांस में डाटा सुरक्षा अधिनियम 1978 में लाया गया था। इसके बाद इसमें 2004 में संशोधन किया गया। डाटा प्रोटेक्शन एक्ट के तहत वहां निजता का अधिकार कानून काफी अहम है, जिसके तहत किसी की जानकारी को एकत्रित करने का मकसद व्यक्ति की पहचान करना है।
जर्मनी- जर्मनी के 2001 के राइट टू प्राइवेसी के तहत किसी तरह के व्यक्तिगत डाटा का कलेक्शन करने पर पूरी तरह से पाबंदी है। हालांकि, कभी बहुत ही जरूरी जानकारी चाहिए तो इसके लिए कानूनी अधिकार लेकर डाटा लिया जा सकता है।
जापान- जापान राइट टू प्राइवेसी को लेकर ज्यादा सजग है। यहां किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी की सुरक्षा के लिए व्यक्तिगत सूचना संरक्षण अधिनियम लागू किया गया है। यहां प्राइवेसी की लिमिट को काफी व्यापक रखा गया है। जापान में सिर्फ वही जानकारी ली जा सकती है जो सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराई जा सकती है।