Monday, September 11th, 2017 07:20:36
Flash

चमत्कार से कम नहीं: जिंदगी से हार कर भी आठ लोगों को जीवित कर गई ये लड़की




चमत्कार से कम नहीं: जिंदगी से हार कर भी आठ लोगों को जीवित कर गई ये लड़कीSocial

Sponsored




जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार किया जाता है, हर धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार के भी अपने तरीके हैं, किसी धर्म में शरीर को अग्नि के हवाले किया जाता है तो किसी में धरती के हवाले। इसके अलावा भी और तरीके होंगे दुनिया में। अंतिम संस्कार को लेकर लोगों की धारणा होती है कि जिसकी मौत हुई है उसे मोक्ष प्राप्त हो। और जब कोई व्यक्ति मर जाता है तो उसका शरीर भी किसी काम का नहीं रहता तो मृत शरीर को नष्ट करना भी जरुरी है, प्रकृति का नियम ही यही है। लेकिन इन सब से अलग अगर किसी का मृत शरीर या फिर शरीर में मौजूद ऑर्गन किसी दूसरे इंसान की जान बचा लें, उसे नया जीवनदान मिल जाए तो इससे बेहतर क्या होगा?

जी हाँ मैं यहाँ बात कर रही हूँ ऑर्गन डोनेशन की, और इसकी सबसे बड़ी मिसाल बनी है एक 13 साल की बच्ची, जिसने मरने के बाद अपने अंग दान का सोचा और अपनी मृत्यु के बाद 5 बच्चों सहित कुल आठ लोगों को जीवनदान दे गई। ये 13 साल की बच्ची, जेमीमा लेज़ेल हैं जो सॉमरसेट की रहने वाली थी। जेमीमा लेज़ेल का दिल, अग्न्याशय, फेफड़े, गुर्दे, छोटी आंत और लीवर दान किया गया। लेज़ेल के अंगों का ट्रांसप्लांट, अलग अलग लोगो के शरीर में किया गया जो सफल रहा। सफल ट्रांसप्लांट के साथ ही लेज़ेल एक ऐसी एकमात्र डोनर बन गई हैं जिन्होंने एक साथ इतने लोगों की जान बचाई।

जेमीमा लेज़ेल की मृत्यु दिमाग की नस फ़टने से हुई थी। वो अपनी मां के 38 वें जन्मदिन की पार्टी के लिए तैयारी कर रही थी कि अचानक दिमाग की नाश फ़टने से लेज़ेल वहीँ गिर गईं और चार दिनों बाद बच्चों के ब्रिस्टल रॉयल अस्पताल में उनका निधन हो गया। लेज़ेल का दिल, छोटी आंत्र और अग्न्याशय को तीन अलग-अलग लोगों में प्रत्यारोपित किया गया जबकि दो लोगों को उनके गुर्दे लगाए गए। उनके लीवर को विभाजित किया गया था और दो लोगों में ट्रांसप्लांट किया गया, और उसके दोनों फेफड़ों को एक रोगी में प्रत्यारोपित किया गया था।


आम तौर पर, ट्रांसप्लांट में दान का परिणाम  2.6 है वहां आठ लोगो का ट्रांसप्लांट बहुत ही असामान्य बात है। इस पूरे मामले पर लेज़ेल के माता स्फी लेज़ेल और पिता हार्वे लेजेल का कहना है कि वे जानते थे कि जेमीमा एक अंगदाता बनने के लिए तैयार थी क्योंकि उन्होंने अपनी मौत के कुछ सप्ताह पहले इसके बारे में बात की थी। उन दोनों के लिए ये फैसला लेना मुश्किल था कि वो अपनी बेटी के अंगों को दान करें और इसके लिए उन्हें बहुत तकलीफों का भी सामना करना पड़ा लेकिन फिर अपनी बेटी की इच्छा को मान देते हुए उन्होंने ये फैसला लिया।

Sponsored



Follow Us

Yop Polls

तीन तलाक से सबसे ज़्यादा फायदा किसको?

Young Blogger

Dont miss

Loading…

Subscribe

यूथ से जुड़ी इंट्रेस्टिंग ख़बरें पाने के लिए सब्सक्राइब करें

Subscribe

Categories