लता मंगेशकर ने शुरू किया देश का सबसे बड़ा म्यूजिक स्कूल, फ्री में मिलेगी शिक्षा
इंडिया में अगर संगीत का नाम लिया जाए और स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की बात न हो। ऐसा तो हो ही नहीं सकता। लता मंगेश्कर की आवाज ने बॉलीवुड को एक अलग ही पहचान दिलाई थी। उनका वो सुरीला गला आज भी लोगों के कानो में गूंजता है। हाल ही में लता मंगेश्कर ने एक संगीत गुरूकुल शुरू किया जिसमें उनकी छत्रछाया में देश के कई होनहार छात्र संगीत की शिक्षा ले सकेंगे।
आज देश में टैलेंट तो बहुत है लेकिन उसे सही मौका और मार्गदर्शन नहीं मिल पाता। इसी कारण कई लोग अपने टैलेंट को छुपाकर कुछ और ही करने लगते हैं। अभावों में गुमनाम हो रहीं देशभर की प्रतिभाओं को अब सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का साथ मिलने जा रहा है। संगीत की साधना में आर्थिक कमजोरी भी अब बाधा नहीं बन पाएगी।
भारत रत्न लता दीदी के मार्गदर्शन में संगीत के साधक न केवल भारतीय संगीत की पारंपरिक शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे, बल्कि देश के सवर्श्रेष्ठ संगीत गुरुओं के से शिक्षा पाकर अपने सपनों को साकार कर सकेंगे। पुणे में देश का सबसे बड़े संगीत गुरुकुल विश्वशांति संगीत कला अकादमी का शुभारंभ शुक्रवार को किया गया है. गुरु-शिष्य परंपरा को पुनर्जीवित करने के साथ ही इस गुरुकुल में संगीत के छात्रों को निशुल्क शिक्षा दी जाएगी। वहीं छात्र जितने समय तक शिक्षा लेना चाहें, ले सकेंगे।
इस अकादमी की चेयरपर्सन लता मंगेशकर ने उद्घाटन के मौके पर कहा कि यह संस्घ्थान संगीत की गुरु-शिष्य परंपरा को पुनर्जीवित करने के साथ ही यह ऐसे प्रतिभाशाली संगीतज्ञ देश को देगा कि उनपर गर्व हो। अकादमी में जल्द ही विद्यार्थियों की भर्ती शुरू हो रही है. संगीत की हर विधा में अधिकतम 15 विद्यार्थियों को लिया जाएगा।
संगीत के सर्वश्रेष्ठ गुरू देंगे शिक्षा
संगीत की विभिन्न विधाओं के महारथी और देश के सर्वश्रेष्ठ गुरु इस गुरुकुल में शिक्षा देंगे. बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया से लेकर पंडित डॉ. एन राजम, पंडित उल्हास काशलकर, पंडित हृदयनाथ मंगेशकर, पंडित सुरेश तलवलकर, पंडित शमा भाटे, पंडित योगेश सम्घ्सी और पंडित देवकी पंडित महीने के छह दिन इस गुरुकुल में शिष्घ्यों का मार्गदर्शन करेंगे जबकि अन्य दिनों में इन गुरुओं के विश्घ्वप्रसिद्ध शिष्य छात्रों को शिक्षित करेंगे।
देश का सबसे बड़ा गुरुकुल
भारत की संस्कृति रही गुरु-शिष्य परंपरा के तहत विकसित किया गया यह गुरुकुल मूला मथा नदी के किनारे बनाया गया है। बेहद सुंदर महलनुमा यह गुरुकुल 70 हजार वर्ग फीट जमीन पर तैयार किया गया है. इसकी खासियत यह है कि इसमें बनाए गए गुम्बद, झोपड़ियां इतनी खूबसूरती से बनाए गए हैं कि प्राचीन भारत और प्राचीन भारतीय संगीत शिक्षा पद्धति की याद दिलाते हैं।
आवास और मैस का उठाना होगा खर्च
संगीत के विद्यार्थियों के लिए गुरुकुल में आवास और भोजन की भी व्यवस्था की गई है। हालांकि इसका खर्च छात्रों को स्घ्वयं वहन करना होगा जबकि शिक्षा का कोई शुल्क नहीं है।
एमआईटी ने बनाया है गुरुकुल
इस गुरुकुल का निर्माण महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी ग्रुप द्वारा कराया गया है. विश्वशांति संगीत कला अकादमी के उद्घाटन के मौके पर एमआईटी ग्रुप के संस्थापक डॉ. विश्वनाथ डी करड ने कहा कि यह प्राचीन भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने के साथ ही प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को संगीत शिक्षा देने के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस अपनी तरह का पहला संस्थान है।
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