वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या के बाद एक बार फिर से व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। जिसे देश का चौथा स्तंभ का दर्जा दिया है आज गलत चीज़ पर आवाज उठाने पर उसकी ही हत्या कर दी गई है। यह देश का पहला मामला नहीं हैं जब पत्रकार द्वारा आवाज़ उठाने पर उसकी आवाज़ ही बंद कर दी जाए। इससे पहले भी कई बार इस गलत मसले पर आवाज उठाने पर आवाज को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था। लेकिन हाल के कुछ वारदातों को देखें तो ऐसा प्रतित होता है कि इस पेशे से जुड़े लोगों का जीवन खतरे में है। आइए एक नज़र कुछ उन वारदातों पर डालें जिसमें पत्रकार द्वारा आवाज उठाने पर उनकी जान जा चुकी है-
1. 13 मई 2016 को बिहार के सीवान में हिंदी दैनिक हिंदुस्तान के पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। ऑफिस से लौट रहे राजदेव को नजदीक से गोली मारी गई थी। मामले की जांच सीबीआइ कर रही है हत्या का आरोप क्षेत्र के बाहुबली श्हाबद्दीन पर लगा।
2. मई 2015 में मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले की कवरेज करने गए आजतक के विशेष संवाददाता अक्षय सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी मौत के कारणों से अभी तक पर्दां नहीं उठ पाया है।
3. मिड डे के मशहूर क्राइम रिपोर्टर ज्योतिर्मय डे की 11 जून 2011 को हत्या कर दी गई थी। उनके पास में अंडरवर्ल्ड से जुड़ी कई निजी जानकारी थी।
4. महाराष्ट्र के पत्रकार और लेखक नरेंद्र दाभोलकर को 20 अगस्त 2013 को मंदिर के सामने बदमाशों ने गोली मार दी थी।
5. हिंदी दैनिक देशबंधु के पत्रकार साई रेड्डी को छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजपुर जिले में संदिग्ध हथियारबंद लोगों ने मौत के घाट उतार दिया था।
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