इन जगहों से अब भी जुड़े हुए हैं श्रीकृष्ण
आज जन्माष्टमी है और वक्त आ गया है इस त्योहार को धूमधाम से मनाने का। कान्हाजी के जन्म लेते ही नगरी-नगरी, घर-घर एकदूसरे को बधाई देते हुए लोगों को देखना इस उतसव का सबसे खुशनुमा पल होता है। आज इस खुशी को दोगुना करते हुए हम आपको ले जाते हैं ऐसी जगहों पर जहां आपको जन्माष्टमी का अनुभव बाकी जन्माष्टमिशें से अलग होगा। हम बताते हैं आपको भगवान श्रीकृष्ण की नगरियों के बारे में जहां श्रीकृष्ण भगवान आज भी जुड़े हुए हैं।
श्रीकृष्णभूमि , मथुरा
भगवाल कृष्ण की जन्मभूूमि जहां जेल के अंदर उनका जन्म हुआ था। जन्माष्टमी के दिन इस जगह का उत्साह लोगों में देखते ही बनता है।
गोकुल
गोकुल में कान्हा का पूरा बचपन बीता। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद मां यशोदा की खुशी आप आज भी यहां निवासियों के चेहरे पर देख सकते हैं। यहां घर-घर में जन्म के बधाई गीत बजते हैं।
वृंदावन-
जन्माष्टमी का त्योहार मनाने के लिए वृंदावन से अच्छी जगह और कोई नहीं हो सकती। हर साल यहां लाखों श्रद्धालु इस उत्सव का आनंद लेने पहुचंते हैं। श्रीकृष्ण की अठकेलियों के चर्चे आज भी यहां के लोग करते हैं और खुश होते हैं।
द्वारका-
गुजरात में बसा द्वारका वह क्षेत्र है जिसे श्रीकृष्ण ने खुद ही बसाया था। अपने मामा कंस को मारने के बाद श्रीकृष्ण ने अपने साथियों के साथ इसी जगह को अपनी राजधानी चुना।
कुरूक्षेत्र –
ये ही वो जगह है जहां श्रीकृष्ण ने अर्जुन के साथी होने के किरदार को निभाते हुए मानव जाति क ो सबसे बड़ा तोहफा दिया। भगवत गीता। उन्होंने अपने महान उपदेशों से अर्जुन की उस दुविधा को दूर किया जिसे आज भगवत गीता के रूप में हम पढ़ते हैं। कुरूक्षेत्र भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के इस महत्वपूर्ण समय का इकलौता साक्ष्य है।