उम्र 22 साल, नाम मधुमिता पांडे। यूनाइटेड किंगडम की एंजला रस्किन यूनिवर्सिटी से क्रिमिनोलॉजी की पढ़ाई कर रही थीं। उसी दौरान 2012 में दिल्ली में एक दिल दहला देने वाली दुर्घटना घटित हुई, जिसे हम सब निर्भया गैंगरेप के नाम से जानते हैं। निर्भया कांड ने देश-दुनिया के तमाम लोगों को झकझोर कर रख दिया था। उसी वक्त मधुमिता भी भारत आई हुई थी। दिल वालों के शहर दिल्ली में आधी रात एक लड़की के साथ हुई, दरिंदगी की घटना ने मधुमिता को भी अंदर से हिला कर रख दिया था।
इस दर्दनाक घटना ने मधुमिता को रेप के आरोपियों की मानसिकता पर रिसर्च करने के लिए मजबूर कर दिया। जब वह 22 साल की थी वह भारत में बलात्कारियों को मिलने और साक्षात्कार देने के लिए नई दिल्ली में तिहाड़ जेल गई। पिछले 3 वर्षों में उन्होंने 100 कैदियों का साक्षात्कार लिया है। मधुमिता ने कैदियों के इंटरव्यू अपनी डॉक्टरल थीसिस के लिए किए थे। इन कैदियों के इंटरव्यू के जरिए वह इतना जानना चाहती थी कि जब ये कैदी किसी भी महिला को अपना शिकार बनाते है और रेप करते है, उस वक़्त उनके मन में क्या चल रहा होता है। क्या ये कैदी आम इंसानों से अलग होते है। इनकी प्रवृत्ति कैसी होती है? कैसे ये लोग बेरहमी से किसी महिला की जिंदगी को बर्बाद कर सकते है। कैदियों की मानसिकता जानने के लिए मधुमिता करीब एक सप्ताह तक उनके साथ तिहाड़ जेल में रहीं।
परवरिश का नतीजा होता है यह
मधुमिता भी नई दिल्ली में ही पली- बढ़ी है। उन्होंने निर्भया मामले के बाद अपने अंदर एक अलग ही तरह की आग देखी थी। तब उनके दिमाग में आया कि ऐसे कौन से विचार है जो उनको यह बदत्तर हरकते करने को उकसाते है। मधुमिता के अनुसार, मैंने सोचा कि इस सवाल का जवाब तो सीधे रेप के आरोपियों से ही पूछा जाना चाहिए। वहां मिले अधिकांश पुरूष अशिक्षित थे, कुछ ने ही हाई स्कूल तक की पढ़ाई की थी। बहुत से पुरूष तीसरे या चौथे ग्रेड के ड्रॉप आउट थे। मधुमिता ने बताया कि, ‘जब मैं उन पर स्टडी करने गई थी तो मुझे यकिन था कि ये लोग राक्षस ही हैं। लेकिन जब आप उनसे बात करते हैं तो आप समझते हैं कि कोई अलग दुनिया के पुरूष नहीं हैं। वे वास्तव में साधारण हैं। उन्होंने जो कुकर्म किया है वो उनकी परवरिश का नतीजा है। रेप के दोषियों से बातचीत करने के अनुभवों के बीच मैंने पाया कि इन लोगों में से बहुत से लोग यह नहीं जानते कि उन्होंने जो किया वह रेप था।’
मधुमिता ने बताया कि, ‘इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा करने के लिए किसी बहाने से बहकाया गया था तो बहुत ने इस बात से ही इंकार कर दिया कि उन्होंने किसी का रेप किया है। केवल 3-4 ही ऐसे लोग थे जिन्होंने कहा था कि हमने जो किया हमें उस पर पछतावा है।’
यह सोचने वाली बात है कि आज भी कई पुरूष सदियों पुरानी सोच में जी रहा है। उसको अब भी लगता है कि लड़की का अस्तित्व सिर्फ उसके शरीर से है। अगर उसकी इज्जत चली गई तो उसका जीवन भी खत्म। कैदी द्वारा दी गई इस प्रतिक्रिया से मुझे बहुत धक्का पहुंचा। लेकिन शायद आज यह लोग नहीं जानते कि इस तरह की हरकतों से लड़कियों ने ऊपर उठकर आगे बढना सीख लिया है। और हमारे सामने कई उदाहरण जैसे ओप्रा विनफ्रे, लेडी गागा है जो आज एक कामयाब महिला के रूप में अपने सपनों को पूरा कर रही है।