काटजू ने गांधी को कहा पाखंडी और धोखेबाज
नई दिल्ली। अपने विवादित बयानों से हमेशा सुर्खियों में रहने वाले सुप्रीम केर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू एक बार फिर चर्चाओं पर है। जी हां काटजू ने 2 अक्टूबर को गांधी के जम्मदिवस पर आने ब्लॉग पर एक लेख लिखा है इसमें गांधी को फेक बताते हुए काटजू ने भगत सिंह और सूर्य सेन जैसे क्रांतिकारियों को ही असल स्वतंत्रता सेनानी बताया है। काटजू ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट किया है जिसके एक कॉमेंट में उन्होंने गांधी को पाखंडी और फ्रॉड बता दिया है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब काटजू ने गांधी को लेकर कोई विवादित टिप्पाणी की है। इससे पहले भी काटजू ने राष्ट्रपिता के खिलाफ कॉमेंट कर चुके हैं।
काटजू ने अपने ब्लॉग पर इंग्लैंड और विंस्टन चर्चिल की कहानी का जिक्र करते हुए महात्मा गांधी के खिलाफ टिप्पाणी की है। काटजू ने लिखा जब चेंबरलीन 1938 में जर्मनी से शर्मनाक म्यूनिख समझौता कर वापस लौटे तब चर्चिल ने कहा था कि आपके पास युद्ध और अपमान में से चुनने का विकल्प था। पर आपने अपमान चुना। काटजू इस कहानी का जिक्र करने के बाद भारतवासियों को संबोधित करते हुए लिखते हैं कि आपके पास भी फेक महात्मा और असली स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह सूर्य सेन में से चुनाव का विकल्प था। काटजू ने अपने ब्लॉग में गांधी के खिलाफ तर्क करते हुए लिखा है कि देश को आजादी सशस्त्र क्रांति से मिली न कि भूख हड़ताल और रघुपति राघव राजा राम गाने से।
बहुत से लोगों का कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत की ओर से ब्रिटिशों के खिलाफ अपनाया गया हिंसक तरीका गलत था। जिसका भगत सिंह, सूर्य सेन, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरू, राम प्रसाद बिस्मिल इत्यादि ने वकालत की थी। लोगों का कहना है कि गांधी का गैर हिंसक तरीका सही है। मैं इस बात से पूरी तरह से असहमत हूं। पहली बात, क्या साम्राज्यवादी किसी की भूख हड़ताल, नमक यात्रा और रघुपति राघव राजा राम गाने की वजह से अपना विशाल साम्राज्य छोड़ सकते थे। भारत को स्वतंत्रता गांधी जी की वजह से नहीं मिली बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध के कारण मिली। जिसमें जर्मनी ने इंग्लैंड पर हमला करके उसे कमजोर कर दिया था। जिसके बाद उन्हें अमेरिकियों की मदद की जरुरत पड़ी। अमेरिका ने मदद के बदले ब्रिटिशों पर भारत छोड़ने का दबाव डाला क्योंकि भारत निवेश के नजरिए से ओपन मार्केट था। उन्होंने कहा कि गांधी की वजह से कुछ नहीं मिला। अगर उनके रास्ते पर हम चलते तो भारत को कभी आजादी नहीं मिली होती। स्वतंत्रता संग्राम के लिए सशस्त्र संघर्ष जरूरी है।
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