बिहार की एक घटना इस लाइन को पूरी तरह से साबित करती है। बिहार अभी बाढ़ की चपेट में हैं और वहां जन जीवन अस्त-व्यस्त है। लोग अपने घरों से दूर जा रहे हैं, उनके घरों में पानी भरा हुआ है। बाढ़ में NDRF की टीम लगातार लोगों को बचाने में लगी है, ऐसे ही बाढ़ में फंसी एक गर्भवती महिला को लेकर जब टीम सुरक्षित स्थान पर जा रही होती है तो एक नई और नन्ही जिंदगी इस दुनिया में अपना पहला कदम रखती है।
ये कोई कहानी नहीं हकीकत है बिहार के मधुबनी में रेस्क्यू करते समय, एक महिला ने चारों तरफ फैले बाढ़ के कहर से घिरी अपनी नाव में एक नन्ही सी जान को जन्म दिया। कहते हैं ना कि प्रकृति के कारनामे कोई नहीं समझ सकता या यूँ कहें कि ईश्वर की लीला कोई नहीं समझ सकता और इसी का एक उदहारण है ये घटना जिसे चमत्कार भी कह सकते हैं।
एक ओर बिहार पर प्रकृति अपना कहर बरपा रही है तो दूसरी ओर उस नन्ही सी जान का स्वागत ठीक उसी तरह कर रही थी, जैसे आंधी तूफ़ान से घिरे कान्हा का यमुना ने किया था। बस बात यहाँ इतनी अलग है कि इस घटना में वासुदेव की भूमिका NDRF की टीम ने निभाई है, माँ और बच्चे को सुरक्षित किनारे पहुंचा कर।