बस्तर के गांवों में प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए वरदान बनी बाइक एंबुलेंस
आज भी भारत के कई सुदूर इलाके है जो यातायात और सुविधाओं के मोहताज है, जहां पर सड़के नहीं हैं। इन्ही गांवों में लोगों को शहरों तक पहुंचने के लिए टूटे-फूटे, कच्चे रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसे में यदि कोई महिला गर्भवती हो तो उसके लिए तो जान जाने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। बस्तर के सुदूर इलाकों में सड़कों पर भी कुछ ऐसा ही हाल हैं। यहां भी उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर गांवों के लोग शहर पहुंचते हैं। लेकिन यहां भी कुछ समय पहले तक इलाज के लिए लोग इसी रास्ते से जाया करते थे। गर्भवती महिलाओं की तो कई बार शहर तक पहुंचते-पहुंचते मौत भी हो जाती है। लेकिन अब इस समस्या और चुनौती का समाधान किया है यहां पर चल रही बाइक एम्बुलेंस ने आइए आपको बताते है कि क्या है बाइक एंबुलेंस।
बाइक एंबुलेंस बाइक के साथ गर्भवती महिलाओं को गांव से शहर के अस्पताल तक सुरक्षित ले जाने वाली एंबुलेंस है जो बाइक से चलती है। यहां पर तंग रास्तों से जुड़े वन ग्रामों में रहने वाले लोगों विशेषकर महिलाओं के लिए किसी आपत स्थिति में ईलाज के लिए अस्पताल तक जाना एक साल पहले तक बेहद दुर्गम था, लेकिन मोटरसाइकिल एंबुलेंस ने अब इनकी जिंदगी की यह चुनौती आसान कर दी। एनजीओ लॉजिकल इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार इस मोटर साइकिल एंबुलेंस ने पिछले एक वर्ष के दौरान बस्तर में करीब 200 गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाई है। अब इस कंसप्ट को अफ्रीकी देश भी अपना रहे हैं।
पहले नहीं पहुच पाती थी एंबुलेंस
यहां पर रास्ते इतने खराब है कि पहले यहां पर कोई एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती थी ऐसे में इमरजेंसी में लोगों को उचित इलाज नहीं मिल पाता था और उनकी मौत हो जाती थी। लेकिन मोटरसाइकिल एम्बुलेंस के आने के बाद लोग किसी आपात परिस्थिति में समय पर अस्पताल पहुंच कर इलाज करा पाते हैं। इस मोटरसाइकिल एम्बुलेंस से सबसे ज्यादा फायदा गर्भवती महिलाओं को हुआ है क्योंकि अब वे प्रसव के लिए तुरंत अस्पताल जा पाती हैं। इस आविष्कार की वजह से नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में गर्भवती महिलाओं की मौत और शिशु मृत्यु दर में गिरावट दर्ज की गई है।
यूनिसेफ ने शुरू की सेवा
यूनिसेफ की पहल पर शुरू की गई इस सेवा के बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञ अजय त्राक्रू का कहना है कि छत्तीसगढ़ के इस इलाके में गर्भवती महिलाओं की मौत के आंकड़ें अधिक हैं। इस एक्सपेरिमेंट के जरिए इन आंकड़ों को कम करने में बेहतर मदद मिली है और अब इस कंसेप्ट के बारे में अफ्रीकी देश रूचि ले रहे हैं।
एनआईटी रायपुर कर रहा है बाइक एंबुलेंस को बेहतर बनाने पर काम
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रायपुर में इस मोटरसाइकिल एम्बुलेंस के डिजाइन को और बेहतर बनाने पर काम कर रहा है। इसमें एक कैरेज मोटर साइकिल के साथ अटैच किया गया है जिसमें बीमार व्यक्ति के लिए प्राथमिक लाइफ सेविंग डिवासइ स्थापित किया गया है। इस मोटरसाइकिल एम्बुलेंस की कीमत 1 लाख 70 हजार रुपए है और एक महीने में इस पर 15 हजार रुपए खर्च आते हैं। इसके और भी उन्नत संस्करण को तैयार किया जा रहा है ताकि यह एंबुलेंस मरीजों के लिए और भी उपयोगी बन सके।