6 फिल्में, जिन्होंने बताए गांधी के कई राज़
गांधी जी ने भारत की आज़ादी के लिए क्या किया ये तो हम बचपन से ही किताबों में पढ़ते आ रहे हैं। लेकिन गांधी जी ने भारत को आज़ादी दिलाने के अलावा और क्या किया, ये हमें फिल्मों से पता चला। गांधी जी के जीवन पर एक-दो नहीं बल्कि कई फिल्में बन चुकी हैं। हर फिल्म अपने आप में ख़ास है क्योंकि हर फिल्म में गांधी जी के किरदार को परदे पर अलग-अलग नज़रिए से उतारा गया है। यदि किसी ने गांधी जी पर बनी अब तक की सारी फिल्में देख ली हैं तो यकीनन वो गांधी जी के ज़िदगी के हर पहलू से वाक़िफ है लेकिन जो गांधी जी की ज़िदगी से जुड़ी हर बात जानना चाहते हैं उन्हें गांधी जी पर बनी ये फिल्में जरुर देखनी चाहिए।
हे राम (2000)
कमल हसन की ये फिल्म गांधी जी की हत्या के पहलू को दिखाती है। इसमें भारत-पाकिस्तान का विभाजन और नाथूराम गोड़से द्वारा गांधी जी की हत्या की सच्चाई को बख़ूबी दर्शाया गया है। हिंदी और तमिल भाषा में बनी इस फिल्म में गांधी जी का रोल नसरूद्दीन शाह ने प्ले किया था। हालांकि ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल करने के लिए नहीं बनाई गई थी लेकिन फिर भी इस फिल्म को दुनिया भर से तारीफ मिली। इतना ही नहीं इस फिल्म ने 3 नेशनल अवॉर्ड भी जीते थे।
द मेकिंग ऑफ द महात्मा (1996)
श्याम बेनेगल की ये फिल्म गांधी जी के उन दिनों की दास्तान बताती है जो उन्होंने साउथ अफ्रीका में बिताए थे। ये फिल्म फातिमा मीर की किताब ’द अपरेन्टिसशिप ऑफ ए महात्मा’ पर बनाई गई है। फातिमा ने ही इस फिल्म के लिए स्क्रिप्ट लिखी थी। इस फिल्म ने 2 नेशनल अवॉर्ड जीते थे। एक तो बेस्ट फीचर फिल्म इन इंग्लिश और दूसरा अवॉर्ड रजित कपूर को बेस्ट एक्टर का मिला था।
मैंने गांधी को नहीं मारा (2005)
जहनु बरुआ की ये फिल्म गांधी जी की ज़िंदगी पर नहीं बनी है बल्कि ये एक हिंदी के प्रोफेसर उत्तम चौधरी की कहानी है जो ये मानता है कि उसने ही गांधी को मारा है। प्रोफेसर का रोल अनुपम खेर ने प्ले किया है। हालांकि प्रोफेसर को ऐसा क्यों लगता है इसका खुलासा फिल्म के अंत में होता है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ कमाल तो नहीं दिखा पाई लेकिन इसने दुनियाभर से तारीफें बटोरी थी।
लगे रहो मुन्नाभाई (2007)
राजकुमार हीरानी की इस फिल्म में गांधीगिरी का संदेश दिया गया है। फिल्म में गांधी जी को संजय दत्त की इमेजिनेशन के रूप में बताया गया है जो उसे समय-समय पर सही रास्ता दिखाते हैं। इसमें दिखाया गया है कि कैसे अहिंसा में विश्वास रखने वाला मुन्ना भाई गांधी जी के सिद्धांतो का पालन करने लगता है और हर मसले का सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही हल करता है। फिल्म में गांधी जी का रोल दिलीप प्रभवालकर ने प्ले किया है।
गांधी, माय फादर (2007)
ये फिल्म गांधी जी के बेटे की बायोग्राफी ’हीरालाल गांधी’ पर बनाई गई है। इसमें गांधी जी की ज़िंदगी को उनके बेटे के नज़रिए से दर्शाया गया है। फिल्म को फ़िरोज़ अब्बास खान ने डायरेक्ट किया है। दर्शन ज़रीवाला ने महात्मा गांधी और अक्षय खन्ना ने उनके बेटे हीरालाल गांधी का रोल प्ले किया है। फिल्म में बाप-बेटे के बीच के तनावपूर्ण संबंधों को दिखाया गया है। फिल्म देखने पर यह बात साफ़ होती है महात्मा गांधी एक पिता के रूप में कैसे थे।
गांधी (1982)
गांधी जी के किरदार को सबसे अच्छी तरह से परदे पर किसी ने उतारा है तो वो हैं रिचर्ड अटेनबोरो। इस फिल्म में गांधी जी के जीवन के कई पहलुओं को दिखाया गया है। इस फिल्म को बनाने से पहले रिचर्ड ने गांधी जी पर काफी रिसर्च की थी। फिल्म में गांधी के किरदार को जीवंत बनाने के लिए वे भारत आए थे और कुछ वक्त उन्होंने गांधी जी के परिवार के साथ भी बिताया था।