ट्रिपल तलाक पर खून से खत लिखकर महिला ने मांगा जज से इंसाफ
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ट्रिपल तलाक को लेकर पहले से ही देश में बवाल मचा हुआ था। कुछ दिनों पहले ट्रिपल तलाक पर नए कानून बनाने की भी मांग की गई थी। इसी कड़ी में एक नया मामला सामने आया है। मध्यप्रदेश के देवास की रहने वाली एक मुस्लिम महिला ने ट्रिपल तलाक के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर को खून से खत लिखा है।
ट्रिपल तलाक के मामले में इस मुस्लिम महिला ने खून से खत लिखकर चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर से इंसाफ मांगा है। महिला का कहना है कि या तो उसे इस तलाक के मामले में इंसाफ दिया जाए या फिर उसे मरने की इजाज़त दे दी जाए। शबाना नाम की इस महिला का आरोप है कि उसके पति ने उसे दहेज़ के लिए प्रताड़ित किया और बाद में उसे मौखिक तलाक देकर दूसरी शादी कर ली।
पति चाहता है खेतों में काम करे शबाना
शबाना ने अपनी चिठ्ठी में लिखा है कि वह नर्सिंग का कोर्स करने के बाद नौकरी करना चाहती है लकिन उसका पति चाहता था कि वह खेतों में काम करे। मना करने पर मारपीट करता था और दहेज के लिए भी प्रताड़ित करता था। उसकी शादी हाटपिपलिया के रहने वाले टीपू से 25 मई, 2011 को मुस्लिम रीति-रिवाज के साथ हुई थी। उन दोनों की एक चार साल की बेटी भी है। हालांकि टीपू ने उसे तीन बार तलाक का नोटिस भेजकर 16 नवंबर, 2016 को दूसरी शादी कर ली।
नए कानून की मांग
शबाना ने सीजेआई को लिखी चिट्ठी में ऐसे कानून को खत्म करने की मांग की है, जिससे उसकी और उनकी चार साल की बेटी की जिंदगी बर्बाद होती है। शबाना ने बताया कि उसके पति ने तीन बार तलाक-तलाक कहकर तलाक दे दिया और मुझे और मेरी बच्ची को छोड़ दिया। महिला ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखे अपने पत्र में कहा कि मैं तीन तलाक के सख्त खिलाफ हूं, अब मुझे देश का जो कानून हैं, जो सबके लिए समान है, इस कानून के तहत न्याय मिले। ऐसे पर्सनल लॉ को मैं नहीं मानती, जिससे मेरी और मेरी बेटी का भविष्य खराब हो गया। मुझे अपने देश के कानून पर पूरा विश्वास है, कि मुझे और मेरी जैसी और कई बहन-बेटियों को न्याय मिले। यह मेरी लड़ाई और मेरी बच्ची और ऐसे कई बच्चों की हैं, जिन्हें इस तरह से छोड़ दिया जाता हैं।
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