इंफोसिस को एक बार फिर अपना नया चेयरमेन मिल गया है। नंदन नीलेकणी ने इंफोसिस में वापसी कर ली हैं और वे फिर से इंफोसिस का आधार मजबूत करने के लिए तैयार हैं। इंफोसिस की कमान एक बार उनके हाथों में आ गई है। वह आर शेषासयी की जगह लेंगे। आज हम आपको बताएंगे कि नंदन नीलकणि आखिर शाख्सियत क्या हैं। तो जानिए।
– नंदन नीलेकणी ने इंफोसिस के साथ अपनी शुरूआत नारायण मूर्ति और अन्य संस्थापक के सदस्यों के साथ ही की थी। इसके बाद वे मार्च 2002 से अप्रैल 2007 तक कंपनी के सीईओ भी बने रहे।
~2009 में उन्होंने कंपनी को छोड़ा और वो यूनिक आइडेंटिटिफिकेशन डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) प्रोजेक्ट के अध्यक्ष बने। इनकी काबिलियत को परखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आधार कार्ड की इस योजना की कमान उन्हें सौंपी थी।
-नीलेकणी नैस्कॉम के और बैंग्लुरु चैप्टर के द इंडयूएस एन्त्रप्रन्योर के भी सह-संस्थापक भी रहे थे। इसके अलावा वो भारत की सबसे बड़ी और पुरानी इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ‘नेश्नल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च’ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह भारतीय आर्थिक अनुसंधान परिषद (आईसीआरआईआर) के लिए भारतीय परिषद के गवर्नर बोर्ड के सदस्य भी हैं।
-नीलेकणी राजनीति में भी अपना हाथ आजमा चुके हैं। नंदन नीलेकणी ने 2014 में कांग्रेस पार्टी से बेंग्लुरू के दक्षिणी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव भी लड़ा था हालांकि वो एक बड़े अंतर से चुनाव हार गए। यह नंदन नीलेकणी का पहला चुनाव था। इस चुनाव के दौरान वह सबसे अमीर उम्मीदवार के तौर पर भी उभरे थे।
-नंदन नीलेकणी आईआईटी बॉम्बे के छात्र है। 2003 में उन्हें फॉर्च्युन मैगज़ीन ने बिज़नेसमैन ऑफ एशिया के टाइटल से भी नवाज़ा था। इसके अलावा, 2004 में हुए एशिया बिजनेस लीडर्स अवॉर्ड में उन्हें ‘कॉरपोरेट सिटीज़न ऑफ द ईयर’ के लिए भी चुना गया था।
-2006 में नंदन नीलेकणी भारत के उच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से नवाज़ा गया था। 2006-2009 में टाइम मैग्ज़ीन ने उन्हें दुनिया के 100 सबसे असरदार लोगों की लिस्ट में शामिल किया था।
-एक बार फिर इंफोसिस की कमान मिलने के बाद नंदन नीलेकणी ने कहा, ‘ मैं बतौर गैर-कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका में इंफोसिस में लौटने के लिए खुश हूं, और अपने ग्राहकों, शेयरधारकों, कर्मचारियों और समुदायों के लिए आगे आने वाली व्यावसायिक अवसरों पर काम करने के लिए सहयोगियों, बोर्ड और कार्यकारी प्रबंधकों के साथ काम करने की आशा करता हूं’। इसके साथ ही उन्होंने कंपनी के सीईओ पद से इस्तीफा देने वाले विशाल सिक्का को उनकी तीन सालों की मेहनत और सेवा के लिए धन्यवाद भी दिया।