भारत की सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के सहसंस्थापक एनआर नारायणमूर्ति को इन दिनों अपना पद छोडऩे का अफसोस हो रहा है। उन्होंने कहा है कि 2014 में कंपनी के चेयरमेन पद को छोडऩे पर मुझे अफसोस है। मूर्ति ने कहा कि उन्हें दूसरे सहसंस्थापकों की बात सुननी चाहिए थी और पद परद बने रहना चाहिए था।
बीते कुछ दिनों से विशाल सिक्का , प्रबंधन और मूर्ति के बीच काफी मतभेद देखने को मिल रहे हैं। उनके बीच कई मुद्दों को लेकर विवाद और मनमुटाव की स्थिति भी बन चुकी है। उन्होंने कहा कि – ये मेरी व्यकितगत और पेशेवर जिन्दगी का सबसे बड़ा अफसोस है। मेरे कई संस्थापकों ने 2014 में इंफोसिस न छोडऩे की सलाह दी थी, लेकिन मैंने किसी की एक न सुनी। शायद मैं उनकी बात मानकर कुछ दिन और पद पर बना रह सकता था। लेकिन मुझे लगता है कि मैं बहुत भावुक इंसान हूं। मेरे ज्यादातर फैसले आदर्शवाद पर निभर रहते हैं, शायद मुझे उनकी बात सुननी चाहिए थी।
बता दें कि मूर्ति ने इंफोसिस शुरू करने के 33 साल बाद 2014 में कंपनी को अलविदा कह दिया था। नारायणमूर्ति और उनके जैसे ही छह सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल ने 1981 में इंफोसिस की स्थापना की थी। मूर्ति ने 21 सालों तक 1981 से 2002 तक इंफोसिस के सीईओ बनकर सेवा दी और बाद में उन्होंने नंदन नीलकनी को अपने पद का उत्तराधिकारी बनाया। 2002 से 2006 तक वे बोर्ड के चेयरमेन थे। बाद में वे बोर्ड और मुख्य सलाहकार समिति के भी चेयरमेन बने। अगस्त 2011 में चेयरमेन के पद पर रहते हुए वे कंपनी से रिटायर हो गए। 2014 में फिर उन्होंने कपंनी को अलविदा कह दिया। बता दें कि भले ही नारायणमूर्ति ने पद छोड़ दिया हो, लेकिन आज भी हर दिन इंफोसिस के कैंपस में जाना नहीं भूलते।