सेना में भर्ती के दौरान किए गए फर्जीवाडे ने अधिकारियों के होश उड़ा दिए हैं। 100 से अधिक नेपाली युवाओं को फर्जी दस्तावेज बनाकर उनको सेना में भर्ती करवा दिया गया है। लखनऊ में फर्जी तरीके से उनका निवास प्रमाण पत्र, भारतीय मूल का गोरखा होने का प्रमाणपत्र और शैक्षिक दस्तावेज बनवाए गए। इतना ही नहीं बिना पुलिस सत्यापन के ये नेपाली युवा सेना की गोरखा राइफल्स में भर्ती भी हो गए।
मामले का खुलासा होने के बाद खुफिया ईकाई ने एसटीएफ के साथ मिलकर तीन लोगों को पकड़ लिया जबकि तीन अब भी फरार हैं। गिरोह के पास करीब 40 फर्जी मार्कशीट और 18 डिस्चार्ज बुक बरामद हुई हैं। साथ ही इब्राहिमपुर वार्ड की सभासद सुनीता यादव के नाम का लेटरहैड और उनकी मुहर भी बरामद की गई।
गैंग का लीडर रह चुका है मिलिट्री इंटेलिजेंस का कर्मचारी
एसटीएफ ने मामले के मास्टर माइंड मिलन थापा समेत संदीप थापा और अनिल श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर लिया है। मिलन और संदीप थापा मूलतः नेपाल के सुरखेत जिले के रहने वाले हैं। यह आरोपी फर्जी दस्तावेज के आधार पर नेपाली नागरिकों को भारतीय सेना व अन्य सरकारी/निजी संस्थानों में नौकरी दिलाते थे। इसके बदले प्रत्येक आवेदक से 7 से 10 लाख रुपये वसूले जाते थे। इस गैंग का लीडर प्रकाश थापा नेपाली मिलिट्री इंटेलिजेंस का बर्खास्त कर्मचारी है।
हो सकता है आईएसआई का हाथ
सेना के फर्जी दस्तावेजों के सहारे नेपालियों की भर्ती के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ हो सकता है। इस आशंका ने भारतीय खुफिया एजेंसी में खलबली मचा दी है। सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट में नेपाली मूल के युवकों की भर्ती होती थी। यह भर्ती नेपाल से होती थी लेकिन वर्ष 2013 में नेपाल बॉर्डर से आईएसआई ने भारत विरोधी गतिविधियां तेज कर दीं जिसके बाद से भर्ती पर रोक लगा दी गई। तभी से प्रकाश थापा ने फर्जीवाड़ा करके नेपालियों की भारतीय सेना में भर्ती करानी शुरु कर दी।