पार्वती और द्रौपदी भी बनी थी अमिताभ की रील लाइफ माँ
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बॉलीवुड में जिस तरहे से आलोक नाथजी बाबूजी के कैरेक्टर में फेमस है ठीक उसी तरह निरूपा रॉय भी अमिताभ की माँ के रूप में फेमस है। जिन फिल्मों से अमिताभ बॉलीवुड के महानायक बने उन फिल्मों में उनकी माँ का किरदार निभाती थी निरूपा रॉय। आज भी ‘दीवार’ फिल्म का वो डॉयलॉग मदर्स डे पर सबके सामने आ ही जाता है जिसमें शशि कपूर कहते है ‘मेरे पास माँ है’।
वैसे तो निरूपा रॉय कई बार कितने ही एक्टर्स की माँ बनी लेकिन उनका अत्यधिक प्रभावशाली किरदार अमिताभ की माँ के रूप में ही माना गया। शायद यहीं वजह है कि अमिताभ बच्चन की माँ के रोल के लिए पहली च्वाइस निरूपा रॉय ही होती थी। लेकिन एक बड़ी ही इंट्रेस्टिंग बात है जिस निरूपा रॉय को आप माँ के रूप में जानते है वो कभी बॉलीवुड फिल्मों में पार्वती और द्रौपदी के किरदार निभाती थी। उनके जन्मदिन पर हम आपको निरूपा रॉय के बारे में कुछ ऐसी ही इंट्रेस्टिंग बातें बताने जा रहे हैं।
गुजरात के वलसाद में एक रेल्वे कर्मचारी के यहां 4 दिसंबर 1931 को जन्म हुआ था एक लड़की का जिसे आप निरूपा रॉय के नाम से जानते है। जब वो 15 साल की थी तो उनकी शादी कमल रॉय से कर दी गई और इसके बाद वो मुंबई आ गई। निरूपा के पति कमल फिल्मों में एक्टर बनना चाहते थे उस समय वे भी स्ट्रग्लर ही थे।
एक बार की बात है जब निर्माता-निर्देशक बीएम व्यास अपनी नई फिल्म ‘रनकदेवी’ के लिए नए चेहरे की तलाश कर रहे थे। इसके लिए उन्होंने अखबार में विज्ञापन भी दिया। निरूपा रॉय के पति को मौके की तलाश थी तो वे पहुंच गए ऑडिशन देने। वे अपनी पत्नी निरूपा को लेकर वहां पहुंचे और एक्टर बनने की इच्छा जाहिर की लेकिन बीएम व्यास ने साफ कह दिया कि उनकी पर्सनालिटी एक्टर जैसी नहीं है वे चाहे तो उनकी पत्नी को अभिनेत्री के रूप में काम मिल सकता है।
इस तरह निरूपा रॉय को अपनी ज़िन्दगी की पहली फिल्म ‘रनकदेवी’ मिली। इस फिल्म में रनकदेवी ने 150 रूपए प्रतिमाह पर काम किया था। इसके बाद साल 1946 में उन्होंने गुजराती फिल्म ‘गणसुंदरी’ तथा 1949 में ‘हमारी मंजिल’ की। साल 1949 में उन्हें फिल्म ‘गरीबी’ में काम करने का मौका मिला जिसमें एक्टर थे जयराज। इस फिल्म के बाद वे बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने में सफल हुई।
अपने करियर की शुरूआत में ही उन्होंने 1951 में फिल्म ‘हर हर महादेव’ की थी। इस फिल्म में निरूपा रॉय ने पार्वती का किरदार निभाया था। इस फिल्म के बाद निरूपा रॉय देवी के रूप में काफी प्रसिद्ध हो गई थी। इस दौरान उन्होंने फिल्म ‘वीर भीमसेन’ भी की थी जिसमें वे द्रौपदी बनी थी इस किरदार में भी उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया था।
निरूपा रॉय सबसे पहले अमिताभ की नहीं देवआनंद की माँ बनी थी। साल 1955 में आई फिल्म ‘मुनीमजी’ में उन्होंने देव आनंद की मां का रोल निभाया था। इस फिल्म ने उन्हें अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई थी। इस रोल के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित की गई थी। इसके बाद उन्होंने 6 साल तक मां का कोई रोल नहीं किया।
साल 1975 में प्रदर्शित फिल्म ‘दीवार’ निरूपा राय के करियर की सबसे हिट फिल्म थी। इस फिल्म के बाद ही उन्हें अमिताभ की माँ के रूप में पहचाना जाने लगा। उनके द्वारा किए गए गंभीर अभिनय की यादें सभी की स्मृति में ताज़ा है। अमिताभ के साथ उन्होंने खूनपसीना, मुंकद्दर का सिकंदर, अमर अकबर एंथोनी, सुहाग, इंकलाब, गिरफ्तार, मर्द और गंगा जमुना सरस्वती जैसी हिट फिल्में की।
साल 1999 में रिलीज़ फिल्म ‘लाल बादशाह’ उनके करियर की आखिरी फिल्म थी। अपने करियर के दौरान उन्होंने 300 फिल्मों में अभिनय किया था। अपनी एक्टिंग के दम पर सभी के दिलों में जगह बनाने वाली निरूपा रॉय 13 अक्टूबर 2004 को इस दुनिया को अलविदा कह गई।
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