अगर आप इस बार आईआईटी में दाखिला लेने जा रहे हैं, तो इस बार आपको कुरिकुलम पढ़ाने से पहले जिन्दगी कैसे जी जाए, इसकी सीख मिलेगी। दिलचस्प बात तो ये है कि ये सीख आमिर खान की फिल्म थ्री इडियट्स से प्रेरित होगी। फिलम में रणछोड़ दास चांचड़ जिस तरह कहता था कि सक्सेस का पीछा मत करो, एक्सीलेंस के पीछे भागो, ठीक उसी तरह अब आईआईटीज में आमिर खान की यह सीख स्टूडेंट्स को दी जाएगी कि कॉम्पीटीशन के पीछे मत भागो, पीछा एक्सीलेंस का करो, सफलता खुद मिल जाएगी। बता दें कि आईआईटी में तगड़े कॉम्पीटीशन के बाद ही स्टूडेंट इसमें दाखिला ले पाते हैं।
2 हफ्ते का इंडक्शन प्रोग्राम
इस साल से देशभर की IIT में पढ़ाई शुरू होने से पहले 2 या 3 हफ्ते का इंडक्शन प्रोग्राम होगा। यह 20 जुलाई या इसके बाद से शुरू होगा। स्टूडेंट्स सहज महसूस करें और तनाव में ना रहें इसलिए IIT काउंसिल ने इंडक्शन प्रोग्राम कराने का फैसला किया है। इसके लिए IIT बीएचयू ने कंटेंट तैयार किया है। IIT बीएचयू के डायरेक्टर राजीव सेंगल ने बताया कि हमारी कोशिश है कि स्टूडेंट्स को अच्छा माहौल मिल सके और वे IIT में घर की तरह महसूस करें। इंडक्शन के दौरान वह आर्ट भी सीखेंगे और मानवीय मूल्यों पर चर्चा की जाएगी।
महंगे गैजेट्स से सम्मान नहीं-
आईआईटी बीएचयू के डायरेक्टर राजीव सेंगल ने बताया कि स्टूडेंट्स को पीयर प्रेशर से निपटने के गुर भी सिखाए जाएंगे। दरअसल, आज स्टूडेंट्स पीयर प्रेशर के चलते शो-ऑफ ज्यादा करते हैं, जो उनकी जिन्दगी का हिस्सा बन जाता है, लेकिन इन कोर्स में ये सिखाया जाएगा कि आदर सम्मान आपके गुणों से मिलता है, ब्रांडेड कपड़ों या महंगे गैजेट्स रखने से नहीं। इसके लिए फैकल्टी द्वारा कुछ एक्साइज भी तैयार की जा चुकी है, जिसमें उन्हें यह समझाया जाएगा कि सम्मान पाना है तो अपने गुणों पर ध्यान दें, महंगी चीजों पर नहीं।
IIT बीएचयू ने दूसरे IIT की फैकल्टी को भी इंडक्शन कराने के लिए ट्रेनिंग दी है। इस ट्रेनिंग का अहम हिस्सा है- ‘कॉम्पिटिशन बनाम एक्सलेंस।’ इसमें स्टूडेंट्स को बताया जाएगा कि वे महज कॉम्पिटिशन के चक्कर में पड़ने की बजाय एक्सलेंस हासिल करने की कोशिश करें। उन्हें सिखाया जाएगा कि कॉम्पिटिशन में दूसरों से तुलना की जाती है और एक्सलेंस में खुद से। कॉम्पिटिशन में भावना रहती है कि दूसरों से अच्छा करें जबकि एक्सलेंस में मकसद टास्क को अच्छे से करना होता है। कॉम्पिटिशन में टेंशन और जलन की भावना आती है जबकि एक्सलेंस से दृढ़निश्चय की भावना जागृत होती है।
स्टूडेंट्स को बताया जाएगा कि अगर खुद को कॉम्पिटिशन तक सीमित रखने की बजाय बड़ा विजन लेकर चलेंगे तो जिंदगी में अच्छा कर पाएंगे और संतुष्ट होंगे। इसके लिए कंटेंट में आईआईटी के ही कुछ उदाहरणों को भी शामिल किया गया है। जैसे- ट्रिपल आईआईटी हैदराबाद का एक छात्र जिसका बीटेक में (सीपीआई में) सेकंड लास्ट नंबर था लेकिन वह बेस्ट कंप्यूटर एक्सपर्ट बना। बहुत अच्छी जॉब मिली और उनके टैलंट को पहचान मिली। रामानुजन को 12वीं फेल होने के बावजूद कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में ऐडमिशन मिला।