अब doctors को प्रेस्क्रिप्शन पर कैपिटल लैटर्स में लिखना होगा दवाओं का नाम
जरूरी दवाओं के ऊंची कीमतों में काबू ना रख पाने की आलोचना झेल रही सरकार इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। वैसे भी आरोप लगते रहे हैं कि डॉकटरों और दवाओं कंपनियों में सांठगांठ की वजह से मरीजों को ब्रांडेड दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है। केंद्र सरकार ने अब कहा है कि डॉकटर्स के लिए अनिवार्य कर दिया जाएगा कि वो जेनरिक दवाओं को प्रेस्क्रिपशन पर लिखे। साथ ही दवा विक्रेताओं को भी ये इजाजत होगी कि वो डॉकटर की लिखी ब्रांडेड दवा को जेनरिक दवाइयों से सबस्टीट्यूट कर सकें।
जेनेरिक दवा में सिर्फ सॉल्ट का नाम लिख जाता है। जैसा कि पैरासिटामॉल। ब्रांडेड दवा में पैरासिटामॉल को ही अलग-अलग कंपनियां अपने अलग-अलग नाम से बेचती हैं। कैमिकल एंड फर्टीलाइजर मंत्री अनंत कुमार ने बताया है कि पिछले साल दवाओं की मार्केटिंग के गलत तौर-तरीकों पर स्वैच्छिक यनिफॉर्म कोड का रास्ता अपनाया गया था। लेकिन वो ज्यादा कारगार साबित नहीं हो पाया। अनंत कुमार के अनुसार उन्होंने इस दिशा में बदलाव का मुद्दा स्वास्थ्य मंत्रालय में उठाया है।
अनंत कुमार ने कहा है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों को भी आवश्यकतानुसार बदला जाएगा। नए मेडिकल रेग्यूलेशन के मसौदे में लिखा गया है कि हर फिजिशियन को वैधानिक जेनेरिक नामों के साथ दवाओं को प्रेस्क्राइब करना चाहिए और इसके लिए इनका नाम पर्चे में कैपिटल लैटर्स में लिखने को प्रायोरिटी देनी चाहिए।