वीजा बनवाने के लिए इस देश में लगेगा फेसबुक और ट्विटर आईडी-पासवर्ड
अमेरिका वीजा के लिए अप्लाई करने वालों को गुजरना होगा अब पहले से भी सख्त वीजा स्क्रूटनी प्रोसेस से. इसमें वीजा एप्लिकेंट को अपने फेसबुक, ट्विटर जेसे सोशल मीडिया अकाउंट्स के आईडी और पासवर्ड भी देने पड़ सकते है, साथ ही ई-मेल ऐड्रेस और फोन नंबर मे साथ-साथ 15 साल का बायोग्राफिकल इंफोॅमेशन भी मांगी जा सकती है. अमेरिकी सरकार की ओर से पब्लिश डाक्युमेंट में यह जानकारी दी गई है कि यह सख्त कदम टं्रप ने आतंकी हमलों को रोकने के लिए उठाए है.
हर साल दुनियाभर से 65 हजार लोग यूएस वीजा के लिए अप्लाई करते है. साथ ही यह भी कहा गया है कि इस पॉलिसी की तहत खास देशों के लोगों को टारगेट नहीं किया जाएगा. डाक्युमेंट के मुताबिक, मुस्लिम बहुल 7 देशों के रिफ्यूजियों और वीजा एप्लिकेंट्स की जांच के मामले पर भी विचार किया जा सकता है. ट्रंप ने सीरिया, इराक, ईरान, सोमालिया, सूडान, लीबिया और यमन के ज्यादातार रिफ्यूजियों और पेसेंजर्स की अमेरिका में एंट्री पर टेम्पररी तौर पर रोक लगा दी थी.
ट्रंप का कहना है कि लंबे समय से अमेरिकी इम्प्लॉइज वीजा प्रॉसेस के गलत इस्तेमाल को खत्म करने की मांग करते रहे हैं. मौजूदा वक्त में एच1बी वीजा लॉटरी सिस्टम के तहत दिया जाता है. अमेरिकी की जगह किसी और इम्प्लॉई को नहीं रख सकती, कंपनियों को सही तरीक अपनाना होगा.
अमेरिका में बढ़ती बेरोजगारी को दूर करने के लिए H-1B वीजा के रूल्स को सख्त बनाने की बात कही जाती रही है. आरोप है कि कई कंपनियां दूसरे देशों से कम सैलरी पर वर्कर अमेरिका लाती हैं .इससे अमेरिकीयों को नौकरी मिलने के मौके कम हो जाते हैं और बेरोजगारी बढ़ती है.
क्या है H-1B वीजा
यह एक नॉन-इमिग्रेट वीजा है, इसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी थ्योरिटिकल या टेक्निकल एक्सपर्ट्स को अपने यहां रख सकती हैं. अमेरिकी रिपोर्ट्स बताती हैं कि हर साल ज्यादातर H-1B वीजा भारतीय आईटी कंपनियां हासिल कर लेती हैं.
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