आज की तनावभरी जिन्दगी में सिरदर्द एक आम बात है और हम इसे अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। इसे कम करने के लिए अलग-अलग पेनकिलर भी ले लेते हैं , लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिरदर्द ब्रेन ट्यूमर का लक्षण भी हो सकता है। दिमाग में लगभग सौ अरब सेल्स पाए जाते हैं, इसलिए जब हम अपना सही तरीके से ध्यान नहीं रखते तो इसका सीधी असर हमारे दिमाग में सेल्स होते हैं उस पर पड़ता है। जब दिमाग सही एंग से काम नहीं करता तो सेल नष्ट हो जाते हैं जिससे ब्रेन कैंसर जैसी गंभीर समस्या होने लगती है।
अमेरिकी रिर्सचर्स के एक शोध में पाया है कि इम्यून एक्टिविटी में परिवर्तन होने से पांच साल पहले ही ब्रेन ट्यूमर का पता लगाया जा सकता है। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से शोधकर्ता जूडिथ श्र्वाटजमबाम का कहना है कि पांच साल के अंदर कैंसर पीउि़त के खून में ऐसा प्रोटीन कमजोर हो जाता है जो कि एक प्रतिरक्षा सेल्स से दूसरी सेल्स तक संदेश पहुंचाने में मदद करता है। जिसकी मदद से कैंसर होने के पीडि़त को पहचाना जा सकता है।
पत्रिका ‘पीएलओएसएओ’ में प्रकाशित हुई एक रिसर्च ग्लियोमास पर केंद्रित है जो करीब 80 प्रतिशत ब्रेन कैंसर का निदान करता है। सबसे साधारण प्रकार के ग्लियोमास के लिए औसत जीवित रहने का समय 14 महीने है।
ब्रेन ट्यमूर के लक्षण अलग-अलग होते हैं। इसमें सिरदर्द, याददाश्त भूलना, व्यक्त्तिव परिवर्तन और बोलने में कठिनाई शामिल होती है। इन लक्षणों के तीन महीने बाद कैंसर का पता चलता है और जब तक ट्यूमर आमतौर पर डवलप हो जाते हैं। यह किया गया शोध पहले से दिमाग के कैंसर की पहचान करने और ज्यादा प्रभाव के उपचार की अनुमति देने के लिए रास्ता तैयार कर सकता है। जूडिथ का कहना है कि कैंसर में साइटोकॉन गतिविधि विशेष रूप से समझने में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ट्यूमर के विकास से लडऩे के मामले में मददगार हो सकता है। लेकिन यह एक खलनायक भी बन सकता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाकर एक ट्यूमर बनाने में मदद कर सकता है।
रिर्सर्चर ने 974 लोगों के खून के सैंपल का मूल्यांकन किया है। उन्होंने खून के नमूनों में 277 साइटोकॉन्स का मूल्यांकन किया। शोध में कैंसर विकसित करने वाले लोगों के खून में कम कम साइटोकॉन पाया गया है।