जलीकट्टू के मुद्दे पर अब पीएम मोदी भी बोले
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तमिलनाडु के पारंपरिक खेल जलीकट्टू पर बैन को लेकर पूरे प्रदेश में अब भी विरोध हो रहा है। जलीकट्ट् के समर्थन में अभी भी हजारों लोग चेन्नई के मरीना बीच पर जुटे हुए हैं। लोग इस खेल के लिए नाच-गाकर, नुक्कड़ नाटक के ज़रिए प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं अब इस मामले को लेकर केंद्र सरकार भी गंभीर हो गई। सरकार ने इस मसले को हल करने के लिए हरसंभव प्रयास की बात कही है।
बता दें कि इस संबंध में ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया है। अपने ट्वीट के ज़रिए पीएम मोदी ने कहा कि, ’’हमें तमिलनाडु की संपन्न संस्कृति पर गर्व है। तमिल लोगों की सांस्कृतिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हरसंभव कोशिश की जाएगी।’’ एक अन्य ट्वीट में पीएम मोदी ने लिखा कि, ’’केंद्र सरकार तमिलनाडु के विकास के लिए हर कदम उठाने को तैयार है।’’
ग़ौरतलब है कि इससे पहले केंद्र सरकार जल्लीकट्टू के लिए तमिलनाडु सरकार से आए अध्यादेश के ड्राफ्ट को मंजूरी दे चुकी है। इसके साथ ही इस ड्राफ्ट को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास मंजूरी के लिए भी भेज दिया गया है। यदि राष्ट्रपति इस अध्यादेश को मंजूरी दे देते हैं तो ’जंतु निर्ममता निवारण अधिनियम’ में संशोधन करके तमिलनाडु के राज्यपाल सी विघासागर राव अध्यादेश जारी कर देंगे। बता दें कि जल्लीकट्टू पर लगे बैन को हटाने के लिए तमिलनाडु समेत पूरे देश के साथ ही कई देशों में भी प्रदर्शन हो रहा है।
इस मामले में साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने पोगंल के बाद आयोजित होने वाले इस खेल में सांडों के प्रयोग को बंद करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि जो भी ऐसा करेगा तो माना जाएगा कि उसने कानून तोड़ा है। बता दें कि पशु अधिकारों के लिए काम करने वाली एक संस्था पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स पेटा ने इस खेल के दौरान पशुओं के साथ होते अव्यवहार के ख़िलाफ़ याचिका दायर की थी। इसी संस्था की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसी बैन के ख़िलाफ़ पूरे तमिलनाडु में आम जनता के साथ-साथ स्कूली बच्चे और फ़िल्म स्टार और तमिलनाडु के सभी राजनीतिक दलों ने भी प्रदर्शन किया था।
क्या होता है जल्लीकट्टू?
जल्लीकट्टू तमिल शब्द सल्ली और कट्टू से मिलकर बना है। जिनका मतलब सोना-चांदी के सिक्के होता है जो कि सांड के सींग पर टंगे होते हैं। बाद में सल्ली की जगह जल्ली शब्द ने ले ली और सोने-चांदी की जगह एक-दो रुपयों ने ले लिया। लेकिन फिर भी लोगों का जुनून कम नहीं हुआ।
विरोध की वजह
तमिलनाडु में कई वर्षो से पोंगल के बाद जलीकट्टू पर्व का आयोजन होता आ रहा है। इस पर्व पर युवा सांडों को काबू करते है। इसी दौरान कई लोगो को चोट लग जाती है और कई लोगों की मौत भी हो जाती हैं।
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