बाबूराव नहीं मिस इंडिया के पति हैं परेश रावल
साल 2000 में एक फिल्म आई थी ‘हेराफेरी’। फिल्म ऐसी थी कि इसके कैरेक्टर को आज भी भूलना मुमकिन नहीं है आप भले ही इस फिल्म की पूरी स्टार कास्ट को भूल जाओ लेकिन बाबूराव गणपतराव आप्टे को आप नहीं भूल सकते। बाबूराव का रोल परेश रावल ने किया था और परेश रावल इतने मंझे हुए कलाकार है कि उनके कहने ही क्या?
परेश रावल कोई पैदाइशी एक्टर नहीं थे ये तो वक्त और हालात की बात है जो वे इतने बेस्ट एक्टर बन गए। आज उनका किरदार कोई भी देख ले हमेशा उसे जेहन में रखता है। तो आप सोच रहे होंगे कि हमे अचानक और भयानक तरीके से परेश रावल की याद क्यो आ गई तो आपको बता दें कि इस महान कलाकार का जन्मदिन है 30 मई को इसलिए हम इनके बारे में आपको कुछ ख़ास बातें बताने जा रहे हैं।
परेश रावल का जन्म 30 मई 1950 को हुआ था। जब वो 22 साल के हुए तो उनकी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी और हर युवा की तरह नौकरी तलाशते हुए वे मुंबई पहुंचे। मुंबई में आमतौर पर लोग एक्टर, सिंगर, डायरेक्टर, कैमरामेन या मॉडल बनने जाते हैं लेकिन परेश रावल सिविल इंजीनियर बनने गए थे मतलब वे सिविल इंजीनियरिंग का काम करने गए थे।
ज़िन्दगी में इंजीनियर बनकर काफी संघर्ष चल रहा था। रोज कोई न कोई नया चैलेंज लेकिन तभी लगा कि वे एक्टिंग भी कर सकते हैं उनके अभिनय को देखकर लोगों ने भी कहा कि वे एक एक्टर के तौर पर काफी सफल हो सकते है। कभी-कभी लोग जो कहते हैं वो कितना सटीक बैठता है न!
तो सिविल इंजीनियरिंग के संघर्ष को छोड़कर जब वे उन्होंने अपने कदम फिल्मी दुनिया में रखे तो उनके खाते में साल 1984 की फिल्म ‘होली’ आई। ये सिर्फ परेश रावल की ही पहली फिल्म नहीं थी बल्कि आमिर खान की भी पहली फिल्म थी। इस फिल्म के बाद परेश रावल को हिफाजत, दुश्मन का दुश्मन, लोरी और भगवान दादा जैसी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला।
वैसे दुनिया में हर कोई चाहता है कि वो हीरो बन जाए और कैमरे के सामने खुलकर अपने सिक्स एब्स दिखाए लेकिन ऐसा संभव नहीं और इसी तरह हर कोई विलेन बन जाए ऐसा भी संभव नहीं क्योंकि विलेन बनने के लिए हीरो से ज़्यादा टैलेंट की आवश्यकता होती है जो परेश रावल में कूट-कूट कर भरा था शायद किस्मत को भी ये बात पता थी इसलिए उन्हें विलेन बनने का मौका मिला।
साल 1986 में परेश रावल को राजेंद्र कुमार निर्मित फिल्म ‘नाम’ में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में वे संजय दत्त के अपोजिट विलेन बने थे। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट हुई थी। इस फिल्म में सफलता के बाद परेश रावल को कई अच्छी फिल्म के ऑफर मिले जिसमें सोने पे सुहागा, खतरों के खिलाड़ी, राम लखन, कब्जा, इज्जत जैसी फिल्में थी।
कॉमेडी किंग भी बने परेश रावल
कहते हैं दुनिया में किसी हंसाने से मुश्किल कोई काम नहीं। इस काम को परेश रावल ने ऐसे किया जैसे वे इसके लिए ही बने हो। उनकी कॉमेडी वाली फिल्में हेराफेरी, फिर हेराफेरी, आवरा पागल दीवाना, हंगामा, फंटूश, गरम मसाला, दीवाने हुए पागल, मालामाल वीकली, भागमभाग, वेलकम लोगों को मुंह जुबानी याद है।
मिस इंडिया से की शादी
बाबूराव गणपतराव आप्टे फिल्म में भले ही कैसे भी दिखे हो लेकिन रीयल लाइफ में वे मिस इंडिया के पति हैं। उनकी वाइफ स्वरूप संपत 1979 में फेमिना मिस इंडिया रह चुकी हैं। इनकी मुलाक़ात सत्तर के दशक में थिएटर और प्ले करने के दौरान हुई थी और तभी से ये दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे थे।
एक न्यूज पोर्टल पर छपी ख़बर के मुताबिक इनकी शादी काफी सामान्य तरीके से हुई थी। दोनों ने लक्ष्मीनारायण मंदिर में शादी की थी। शादी में कोई मंडप नहीं था, उन्होंने बड़े और पुराने पेड़ के नीचे सात फेरे लिए थे जहां 6 पंडित शादी के मंत्र पढ़ रहे थे। दोनों की शादी में उनके करीबी दोस्त और परिवार के लोग ही शामिल थे।
परेश रावल की रील लाइफ और रियल लाइफ के बारे में तो आप जान ही चुके हैं अब आपको बता दें कि परेश रावल वो एक्टर हैं जिन्हें तीन बार फिल्म फेयर अवार्ड मिल चुका हैं। पहला अवार्ड साल 1993 में फिल्म ‘सर’ के लिए दूसरा साल 2000 में ‘हेराफेरी’ के लिए और तीसरा साल 2002 में ‘आवारा पागल दीवाना’ के लिए।
परेश रावल का फिल्म इंडस्ट्री में काफी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने हमें मनोरंजन करने वाली फिल्में तो दी है साथ ही कुछ गहन और गंभीर मुद्दों पर भी अच्छी फिल्में दी हैं जैसे ‘ओह मॉय गॉड’,‘धरम संकट में’। ये वो फिल्में है जिन्होंने समाज में चल रहे धर्म के नाम पर गोरखधंधे को उजागर किया गया।
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