ये कहानी नहीं हकीकत है, हम यहाँ बात कर रहे हैं मणिपुर के बॉडी बिल्डर प्रदीप कुमार की जो 2012 मिस्टर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडलिस्ट. इनकी असल जिंदगी की शुरुआत जिंदगी के एक ऐसे मोड़ से हुई जहा पर अक्सर लोग हार जाते हैं और मरने तक जिंदगी तिल तिल कर जीते हैं और आख़िर में ख़त्म हो जाते हैं. बॉडीबिल्डर खड्ड्रकपम प्रदीपकुमार को जब सन 2000 में पता चला की वो HIV पोसिटिव हैं तो उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी जिंदगी को अपने ढंग से और मजबूती से आगे बढ़ाया. आज वो जिस मुकाम पर हैं वह इस वायरस से ग्रसित इंसान सोच भी नहीं सकता पर उन्होंने कर के दिखाया है.
प्रदीप एक ऐसे इंसान हैं जो किसी भी हारे हुए को जीतने की रौशनी दिखा सकते हैं. उनका अभी तक का जीवन प्रेरणा से भरा है. उनकी हिम्मत और मजबूत इच्छा शक्ति ही उनके इस मुकाम पर पहुँचने का साधन रहे हैं. प्रदीप इस बात की भी प्रेरणा युवाओं को देते हैं कि अगर किसी गलत रास्ते पर थोड़ा दूर निकल जाएँ तो भी वापस आया जा सकता है, दरअसल आज प्रदीप एक जाने माने बॉडीबिल्डर हैं लेकिन एक वक्त था जब प्रदीप ड्रग एडिक्ट थे, टीनऐज से लगी इस जानलेवा लत से उन्हें एक और जानलेवा बीमारी लग गई, वो थी एड्स। असल में ड्रग्स लेने के दौरान प्रदीप ने किसी इन्फेक्टेड व्यक्ति की गंदी सिरिंज का इस्तेमाल कर लिया था।
जब प्रदीप को HIV का पता चला तो वो टूट गए और हालत दिन पर दिन गिराने लगी लेकिन फिर उन्होंने खुद को सँभालने का ठाना और बॉडीबिल्डिंग शुरू की. प्रदीप ने बॉडी बिल्डिंग में जान झोंक दी और पूरी ट्रेनिंग लेकर बेहतरीन बॉडी बनाई और कई कॉम्पिटीशन में भाग लिया और जीते भी।
सभी बाधाओं के बावजूद, एचआईवी पॉजिटिव मणिपुरी के बॉडीबिल्डर खड्ड्रकपम प्रदीपकुमार ने पंजाब के लुधियाना में संपन्न 9 वीं श्री दक्षिण एशिया बॉडी बिल्डिंग चैम्पियनशिप 2012 में “मिस्टर साउथ एशिया” का खिताब जीता। वह अब लाखों एचआईवी पॉजिटिव लोगों के लिए एक आदर्श मॉडल बनना चाहता है।
एक दशक से अधिक समय तक घातक वायरस को नाकाम करने के बाद, प्रदीप कुमार अभी भी जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ मजबूत हो रहे हैं। प्रदीप कुमार कहते हैं कि उन्होंने इस संदेश को फैलाने के लिए अपने मिशन में “समर्थन की जरूरत है” और अपने गृह-नगर , इंफाल में एक विश्व स्तर की व्यायामशाला को खोलने का लक्ष्य रखा है। ।
2000 में जब प्रदीप को पता चला कि वो HIV से पीड़ित हैं तो वो समय खराब तो था लेकिन उन्होंने उस समय को अपने अनुसार संभाला और वास्तव में, वह समय उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ बना क्योंकि उन्होंने अपनी सारी “बुरी आदतों” को त्याग दिया और शरीर के निर्माण को लेकर एक अलग दृष्टिकोण से जीवन का समझना शुरू कर दिया।
प्रदीप, मणिपुर राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी के लिए एचआईवी / एड्स के ब्रांड एंबेसडर बने। प्रदीप ने यह साबित कर दिखाया कि एचआईवी दुनिया का अंत नहीं है। उन्होंने इसे (एचआईवी) गलत साबित कर दिया है। उन्होंने दुनिया को यह बताया कि एचआईवी एक बीमारी नहीं है और इसमें आवश्यक सावधानी बरतने से इससे दूर रह सकते हैं। 10 से अधिक वर्षों तक इस वायरस के साथ भी वो पूरी तरह से फिट हैं और बिना किसी बीमारी के। वो हर सुबह और शाम एंटी रेट्रोवायरल (एआरवी) की दवाओं को लेते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं संतुलित और अच्छा भोजन लें.