केजरीवाल को राष्ट्रपति ने दिया झटका, 21 विधायिको की सदस्यता खतरें में
दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रपति ने झटका दे दिया हैं। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को झटका देते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने से संबंधित दिल्ली सरकार के विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी न मिलने से आप के 21 विधायकों की नियुक्ति पर सवालिया निशान लग गया है जिन्हें अरविन्द केजरीवाल सरकार ने संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया था। इससे इन विधायकों पर अयोग्यता का खतरा मंडरा रहा है।
केजरीवाल ने मोदी पर साधा निशाना
केजरीवाल ने राष्ट्रपति के इनकार करने पर कहा है कि ये लाभ का पद नहीं है। केजरीवाल ने फिर दोहराया है कि दिल्ली में मोदी उन्हें काम नहीं करने दे रहे हैं। केजरीवाल ने कहा कि कई राज्यों में संदसदीय सचिव हैं और मोदी सरकार को आम आदमी पार्टी से डर लगता है इसलिए वो ऐसा कर रही है।
क्या है मामला
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त करने का आदेश पारित किया था। आम आदमी पार्टी के मुताबिक संसदीय समिति में शामिल आप के 21 विधायक दिल्ली में बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र में गड़बड़ियों की पड़ताल कर मंत्री को रिपोर्ट कर रहे थे. लेकिन उनके सामने नई मुसीबत खड़ी हो गई है। इस बीच, दिल्ली सरकार ने दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्यता हटाने) कानून 1997 में एक संशोधन करने की पहल की थी। विधेयक के जरिए आप सरकार संसदीय सचिवों के लिए अयोग्यता प्रावधानों से पूर्व प्रभावी छूट चाहती थी। उपराज्यपाल नजीब जंग ने विधेयक केंद्र को भेज दिया था। केंद्र ने अपनी टिप्पणियों के साथ इसे राष्ट्रपति को भेज दिया था. मुद्दे की समीक्षा करने के बाद राष्ट्रपति ने विधेयक को अपनी मंजूरी नहीं दी है।
क्या है नियम?
संविधान के नियम के मुताबि कोई शख्स जो विधायिका का सदस्य है वो किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो वो विधायिका का सदस्य नहीं हो सकता। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को 2006 में इसी वजह से संसद से इस्तीफा देना पड़ा था। तब सोनिया गांधी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष होने के साथ ही रायबरेली से सांसद थी। इस पर एतराज जताए जाने के बाद संविधान में संशोधन किया गया और 45 पदों को लाभ के पद से अलग कर दिया गया। इसके कांग्रेस नेता जया बच्चन की भी सदस्यता इसी वजह से समाप्त हुई थी। वे राज्यसभा से सांसद होने के अलावा यूपी फिल्म विकास निगम की चेयरमेन भी थी। उनके खिलाफ सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की गई जिसे मान लिया गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं जया बच्चन को वहां से भी निराश होना पड़ा था. विवाद के बाद तब 2006 में यूपी सरकार ने लाभ के पद को फिर से परिभाषित करते हुए 79 पदों को लाभमुक्त कर दिया था।
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