चीन और पाक ने फिर हमें डराया, जानें क्यों चुप है मोदी
पाकिस्तान और चीन ने एक बार फिर अंतराष्ट्रीय राजनीति में भारत को अपना निशाना बनाया हैं। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पाकिस्तानी संगठनों ने पाक में न आने की सीधी धमकी दी है। वहीं चीन ने एक बार फिर परमाणु मुद्दों पर पाकिस्तान का समर्थन किया है और भारत को कमजोर करने की पुरजोर कोशिश की है। इन सबके बीच यह सवाल एक बार फिर खड़ा हो रहा है कि एक समय पाकिस्तान और चीन को करारा जवाब देने का दंभ रखने वाली पीएम नरेंद्र मोदी इनकी धमकियों के सामने क्यों चुप हैं।
राजनाथ के दौरे पर यह धमकियां
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह सार्क सम्मेलन के लिए भारत की ओर से भाग लेने के लिए इस्लामाबाद जाने वाले है। जिससे पाकिस्तान के कई संगठनों ने उन्हे खुली धमकी दे दी है। इन दिनों भारत और पाकिस्तान के संबंधों में काफी तनाव चल रहा है ऐसे में गृहमंत्री राजनाथ सिंह के इस दौरे के कारण पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। उनके इस दौरे से हिजबुल मुजाहिद्दीन के प्रमुख सैय्यद सलाहुद्दीन ने एक रैली में सिंह को रोके जाने की धमकी दी है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक ’मेज़बान देश ने गृहमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली है।’ कयास लगाए जा रहे है कि भारत सार्क सम्मेलन में पाकिस्तान से आतंकवादी संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सार्क सम्मेलन में जा रहा है।
चीन ने भी तोड़ा अपना वादा
चीन ने एक ओर जहां भारत का एनएसजी को लेकर विरोध किया था। वहीं अब चीन खुद अपनी शर्ते तोड़ रहा है। गौरतलब है कि भारत ने चीन के नॉन-प्रोलिफिरेशन ट्रीटी पर साइन नहीं किया था इसलिए चीन ने भारत का परमाणु सप्लायर ग्रुप में भारत की एंट्री होने से इंकार कर दिया। चीन ने भारत की एनएसजी में एंट्री से इनकार के बाद अब पाकिस्तान से हाथ मिला लिया हैं। चीन ने पाकिस्तान के साथ ’चस्मा-3’ एटॉमिक रिएक्टर के लिए करार किया। आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के मुताबिक, पाकिस्तान ने न तो एनपीटी पर साइन किए हैं और न ही वह IAEA स्टैंडर्ड के मुताबिक काम करता है। फिर भी चीन पाक को सपोर्ट कर उसे एटॉमिक रिएक्टर के लिए करार कर दिया है।
मोदी की प्राथमिकता है विकास और मजबूती
पीएम मोदी के सामने हर बार यह सवाल खड़ा हुआ है वह पाकिस्तान और चीन को करारा जवाब क्यों नही दे पा रहे है। गौरतलब है कि पीएम बनने से पहले मोदी ने साक्षात्कार में साफ कहा था कि वे पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देंगे लेकिन आज उनकी प्राथमिकताएं बदल चुकी है। मोदी का कहना है कि भारत को अधिक विकसित और सक्षम राष्ट्र बनाना चाहते है, उनका मानना है यदि भारत अर्थिक रूप से अधिक मजबूत हो जाएगा तो पाक और चीन जैसे दुश्मन अपने आप ही अंतराष्ट्रीय स्तर पर हमसे कमजोर पड़ जाएंगे। मोदी की विदेश यात्राएं और हाल ही में दिए कई बयान यह साफ बताते है कि वे पहले भारत को अंतराष्ट्रीय धड़े के सामने मजबूती से खड़ा करना चाहते है। भले ही आज देशवासियों को मोदी के आक्रामक रूख की कमी खल रही है पर यह साफ है कि केंद्र सरकार के पांच साल पूरे होने से पहले मोदी अपने इरादे साफ कर देंगे या तो वे विकास के माध्यम से स्वतः ही भारत को मजबूत करके चीन और पाक को कमजोर साबित कर देंगे या फिर हो सकता है कि अभी चुप दिख रहे मोदी अगले चुनाव में सरकार बचाने के लिए सीधी लड़ाई से पीछे न हटे।