ऐसा कदापि नहीं है जो मैं बताने जा रहा हूँ उस पर लोगों ने काम नही किया लोगों ने काम तो किया लेकिन अपनी सुख सुविधाओं के साथ अधिकतम महंगे शौक के अंतर्गत काम किया तो किसी ने खूबसूरती के लिए काम किया मगर प्राकृतिक जरूरत के हिसाब से काम नही किया, यहां हम एक ऐसे मॉडल की बात कर रहे हैं जो खूबसूरत भी हो हमारी जरूरत पूरा करे और हम प्रकृति का ध्यान रखते हुए हमारे बेकार पानी को ठिकाने भी लगाए और इन सबके साथ बिल्डिंग पर वजन ना बड़े इस बात का विशेष ध्यान रखना है। अब इस पर कैसे आगे बढ़ा जाए , तो सबसे पहले एक पेड़ की क्या प्रकृति होती है इसको भली भांति समझे।
1 पेड़ हमे ऑक्सीजन देता है
2 पेड़ हमे मॉइस्चर ( आद्रता )देता है
3 मॉइस्चर तापमान को नहीं बढ़ने देता
4 पेड़ अपनी ऊष्मा से कम दबाब का क्षेत्र निर्मित करता है
5 और कम दबाब के क्षेत्र के निर्माण के कारण बारिश होती है
6 मौसम मॉइस्चर का होना बारिश का होना ये कितना भी तेज तापमान हो उसको कम करता हैं
7 पेड़ो द्वारा तापमान पर नियंत्रण ही ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य घटक है ,
अब हमें ये सारी बातें कंक्रीट की बिल्डिंग से लेना है ये कैसे संभव है हम कितना भी यत्न कर लें फिर भी हम प्रकृति की बराबरी नहीं कर सकते हां उस जैसी फीलिंग लाई जा सकती है, बस उस जैसा होने से भी हम प्रकृति के सहायक बनकर तापमान में कमी लाने पर काम कर सकते है
मैंने जल हे तो कल है 025 दव. पर निस्तार के पानी को इकट्ठा करके बगीचे में देने की बात कही थी साथ ही उसे इकट्ठा करके छत पर स्टोर करके एक टेरेस गार्डन बनाई जाए जो अमूमन आजकल बहुत सी जगह बनाई जा रही है लेकिन इसमें कुछ अपडेट जरूरी है
1 पूरी गार्डन में सिर्फ और सिर्फ निस्तार का ही पानी दिया जाए और वो भी ड्रिप सिस्टम से जिससे हमारा बेकार जाता पानी का अधिकतम उपयोग हो सके।
2 अमूमन अगर हम गार्डन पूरे छत पर भी बनाना चाहें तो बना सकते है लेकिन उस पूरी गार्डन में हम बेकार ट्यूब लाइट का एक तरफ का टर्मिनल ब्रेक करके उसके अंदर की सफेदी खत्म करते हुए उस पर काले रंग की परत चढ़ाकर उसमे पानी भरकर उन्हें पैक करके मिट्टी में हॉरिजॉन्टल (आड़ी) रखते हुए उसे मिट्टी में 50 प्रतिशत गड़ाते हुए चलें
(काला कलर ऊष्मा का सुचालक होता है जो पानी को अधिकतम और शीघ्र गर्म कर देगा), ध्यान रहे कि इनकी आपस की दूरी 9-10 इंच के आस पास हो, पानी प्राकृतिक ऊष्मा का सबसे बड़ा सन्धारक है।
3 गार्डन में लगा हर छोटे बड़े पेड़ पौधे क्लोरोफिल होने के कारण हमें ऑक्सीजन देंगे ये अलग बात है उसकी मात्रा एक बड़े दरख़्त जितनी नहीं होगी लेकिन आस पास का एटमॉस्फियर हेल्थी हो जाएगा
>> अब इस मॉडल से मिलने वाला फायदा
1. ऑक्सीजन मिलेगी मात्रा की बात नही
2. ड्रिप सिस्टम लगा होने के साथ मिट्टी में 24 घंटे नमी रहेगी मतलब वाष्पन चलता रहेगा
3 बेकार ट्यूब में पानी भरने का फायदा – ये इस पूरे मॉडल की जान है ।
पानी ऊष्मा का सबसे ज्यादा मात्रा में अपने अंदर संवर्धित करने वाला प्राकृतिक अवयव है, दिन में सूरज भगवान अपनी गर्मी से वाष्पन कराते है लेकिन शाम ढलते ढलते मिट्टी की गर्मी तो खत्म हो जाती है लेकिन जो पानी मे ऊष्मा संरक्षित होती है उसका धीरे धीरे विकिरण होता है और वाष्पन की क्रिया में बिल्कुल पेड़ के माफिक ऊष्मा और आद्रता बनाये रखेगी और ’जब इस तरह के मॉडल का घनत्व बढेगा तो उस क्षेत्र का धूल प्रदूषण और आद्रता में समाहित होने वाला प्रदूषण खत्म होगा , ’आद्रता बढ़ने से सूरज की रोशनी के सामने एक लेयर और आने से तापमान नहीं बढ़ता, यही ग्लोबल वार्मिंग से धरती को बचाने वाला कवच है, अगर हम सही मात्रा में मॉइस्चर और कम दबाब का क्षेत्र बनाने में सफल होते हैं तो हमारे उस जोन में बारिश भी संभावित है । बेकार पानी से तापमान पर कंट्रोल ही ग्लोबल वार्मिंग पर कंट्रोल है ।
लेखक
मनोज राठी