Thursday, August 31st, 2017
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बैडमिंटन के द्रोणाचार्य जिन्होंने घर गिरवी रखकर बनाई एकेडमी




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खेल के बारें में ज़्यादा रूचि नहीं रखने वाले लोग भी आज पीवी सिंधु के बारे में जानते हैं। रियो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करके रजत पदक जीतने वाली पीवी सिंधु आज देश ही नहीं दुनिया भर में फेमस हो चुकी है। लेकिन उनकी इस सफलता के पीछे जिनका हाथ है वो है उनके कोच पुलेला गोपीचंद। बैडमिंटन के द्रोणाचार्य कहे जाने वाले पुलेला गोपीचंद आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है।

गोपीचंद ने कई ऐसे खिलाड़ी तैयार किए है जिन्होंने दुनियाभर में भारत का नाम रोशन किया है। वे खिलाड़ियों को कड़ी मेहनत कर तैयार करते है। पुलेला गोपीचंद आज जहां एक सफल बैडमिंटन कोच है वहीं दूसरी ओर वे एक सफल बैडमिंटन प्लेयर भी रह चुके हैं। भारत के इसी सफल बैडमिंटन प्लेयर और कोच के बारे में कुछ ख़ास बातें उनके जन्मदिन पर हम आपको बताने जा रहे हैं…

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क्रिकेट के थे शौकीन

पुलेला गोपीचंद को देखने से भले ही ये लगता हो कि उनका जन्म सिर्फ बैडमिंटन के लिए हुआ हो लेकिन उन्हें बचपन में क्रिकेट पसंद था। उनका जन्म 16 नवंबर 1973 को आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के नगन्दला में हुआ था। बचपन में पुलेला क्रिकेट के शौकीन थे लेकिन खेल के दौरान उन्हें चोट लगने पर भाई राजशेखर ने उन्हें बैडमिंटन खेलने के लिए प्रेरित किया।

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12 साल की उम्र में जीता पहला मैच

पुलेला ने अपना पहला मैच 12 साल की उम्र में दिल्ली में आयोजित ‘राष्ट्रीय प्रतिभा खोज कार्यक्रम में जीता था। इसके बाद पुलेला ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। पुलेला ने 1991 से देश के लिए खेलना शुरू किया। उस समय उनका चुनाव मलेशिया के विरूद्ध खेलने के लिए किया गया था। इसके बाद उन्होंने तीन बार भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

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 भारत को दिलाए अंतराष्ट्रीय पदक

पुलेना ने अनेक टूर्नामेंट में विजय हासिल कर भारत को गौरवान्वित किया है। उन्होंने विजयवाड़ा के सार्क टूर्नामेंट में तथा 1997 में कोलंबो में स्वर्ण पदक प्राप्त किए। कॉमनवेल्थ खेलों में कड़े मुकाबलों के बीच रजत व कांस्य पदक भारत को दिलाए। 1997 में दिल्ली के ‘ग्रैंड प्रिक्स’ मुकाबले में उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा हुई जब उसने एक से एक अच्छे खिलाड़ियों को हराते हुए फाइनल में प्रवेश किया । यद्यपि फाइनल में वह हार गया ।

सिडनी ओलंपिक में भी चमके

वर्ष 2000 के सिडनी ओलंपिक में बैडमिंटन के लिए भारतीय खिलाड़ियों में केवल पुलेला गोपी चंद का ही नाम था । प्रकाश पादुकोने के रिटायर होने के पश्चात् भारत में कोई उत्तम बैडमिंटन खिलाड़ी बचा ही नहीं था, तब पुलेला का आगमन हुआ जिसमें असीम संभावनाएं दिखाई दीं । अतः प्रकाश पादुकोने के बाद आगे बढ़ कर चमकने वाला बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपी चंद ही है । वह प्रतिभावान होने के साथ-साथ देखने में सुन्दर व आकर्षक भी है ।

11 Mar 2001: Pullela Gopichand of India in action on his way to winning the Mens Singles title at the Yonex All England Championships in Birmingham. Mandatory Credit: John Gichigi/ALLSPORT

बैडमिंटन की ऊंचाईयों को छूने वाले दूसरे भारतीय

11 मार्च 2001 को ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत ने हिस्सा लिया जिसमें पुलेला गोपीचंद ने जीतकर भारतीय खेल जगत में एक नया इतिहास लिख डाला। इससे 21 साल पहले प्रकाश पादुकोण ने भारत में बैडमिंटन की ऊंचाईयों को छुआ था। पिछले ओलंपिक के गोल्ड पदक विजेता और विश्व के नम्बर 1 खिलाड़ी को क्वार्टर फाइनल और फिर सेमी फाइनल विश्व बैडमिंटन मुकाबले में हराना और फिर फाइनल में भी हरा कर जीत जाना एक सपने जैसा था जैसा कि अक्सर भारतीय फिल्मों में हीरो के साथ होता है परन्तु गोपी चंद ने इसे असल जिंदगी में कर दिखाया ।

बैडमिंटन से रिटायरमेंट
अपने बेहतरीन करियर को अलविदा कहने के बाद गोपीचंद ने अपनी प्रतिभा बेकार नहीं जाने दी और इसे देश के लिए प्रतिभावान खिलाड़ी तैयार करने में लगाया। उनका इतने सालों का अनुभव और उनकी मेहनत उनकी एकेडमी में दिखती हैं। आज उन्हीं की बदौलत कई खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया है।

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एकेडमी बनाने के नहीं थे पैसे

ख़बरों के मुताबिक पुलेला गोपीचंद जब अपनी एकेडमी बनाना चाहते थे तब उन्हें 13 करोड़ रूपए की ज़रूरत थी। उनके आंध्रप्रदेश सरकार गोपीचंद के प्रर्दशन से काफी खुश थी और उन्होंने एकेडमी बनाने के लिए उन्हें 5 एकड़ जमीन भी उपलब्ध कराई। लेकिन उस जमीन पर एकेडमी खड़ी करने के लिए 13 करोड़ रूपयों की ज़रूरत थी।

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घर गिरवी रख खड़ी की एकेडमी

गोपीचंद से कई बड़े-बड़े लोगों ने वादे किए थे कि वो जब भी एकेडमी बनाएंगे तब वो उनकी मदद करेंगे। लेकिन जब वो एकेडमी के लिए मदद लेने गए तब सभी ने अपने हाथ खड़े कर लिए। गोपीचंद के दिमाग मे सिर्फ एक ही बात थी उन्हें एकेडमी खड़ी करना था। इसके लिए उन्होंने अपना घर भी गिरवी रख दिया। इसके अलावा बाद में उन्हें कारोबारी निग्मागड्डा प्रसाद ने 5 करोड़ रूपए की सहायता की।

Patiala: Former Badminton player and Padam Bhushan, P Gopichand interacts with players during a visit to Netaji Subhas National Institute of Sports in Patiala on Monday. PTI Photo (PTI4_4_2016_000305A)

पैसे देने के लिए कारोबारी ने रखी शर्त

गोपीचंद को पैसे तो मिले लेकिन इसके साथ ही निम्मागड्डा ने उनके सामने एक शर्त रखी। उन्होंने कहा कि ‘‘उन्हें भारत के लिए मेडल लाना होगा।’’ गोपीचंद ने यह शर्त मान ली और दिनरात अपने खिलाड़ियों पर मेहनत की। आज उसी का नतीजा है जो सानिया नेहवाल और पीवी सिंधु जैसे प्लेयर देश का नाम रोशन कर रहे है।

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