सिल्क पैदा करने जंगल में छोड़ी गई 70 लाख तितलियां
रायपुर। साल वृक्ष बहुल जंगलों में राज्य सरकार के ग्रामोद्योग विभाग ने प्राकृतिक कोसा (टसर) उत्पादन के लिए करीब 70 लाख तितलियां शिविर लगाकर छोड़ी गई। ये तितलियां साल के पत्तों पर अंडे देंगी। अंडे से निकलकर लार्वा करीब दस करोड़ कोसा तैयार करेंगे।
रेशम संचालनालय के अफसरों ने बताया कि कोसा विकास एवं विस्तार योजना के तहत इस साल राज्य के दस जिलों-दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा), सुकमा, बस्तर (जगदलपुर), कोण्डागांव, नारायणपुर, उत्तर बस्तर (कांकेर), धमतरी, गरियाबंद, कबीरधाम और कोरिया जिलों में वन विभाग की मदद से 99 जगहों पर शिविर लगाकर तितलियों को जंगल में छोड़ा। 67 शिविर ग्रामोद्योग विभाग और 32 शिविर वन विभाग के कैम्पा योजना के माध्यम से लगाए गए। कोसा की माला बनाकर जंगलों में लटकाई गई।
उसमें से निकलने वाली नर-मादा तितली आपस मिलन करने के बाद साल बीज के पत्तो पर मादा बड़ी संख्या में अंडे देती है। अण्डों में लार्वा निकलकर साल के पत्तों को खाकर बड़े होते है और अंतिम स्टेज में साल के पेड़ पर ही रेशम का कोसा तैयार कर प्यूपा में बदल जाते हैं। यह कार्य पूरी तरह प्राकृतिक वातावरण में होता है। प्राकृतिक रूप से पैदा हुए टसर कोसा के कलेक्शन का काम वनवासियों को दिया जाता है। जिससे उन्हें रोजगार मिलता है। वनवासी तितली निकलने से पहले कोसा पेड़ों से निकालकर विभाग को या कोसे का कपड़ा तैयार करने वाले जुलाहों को बेचते हैं।