प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फ़ैसले के बाद से ही आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) चर्चा में है। इसका कारण यह है कि आरबीआई ने पीएम मोदी के एलान के तुरन्त बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी थी कि वह सरकार के इस फ़ैसले से सहमत है। वैसे नोटबंदी का फ़ैसला लागू होने के बाद आरबीआई ने अपनी जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई।
वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने मोदी सरकार के नोटबंदी के फ़ैसले पर तरह-तरह के सवाल उठाएं। लगातार नोटबंदी के फ़ैसले पर उठते सवालों से आरबीआई कर्मचारियों का सब्र टूट गया है। इस बात का जिक्र ख़ुद आरबीआई कर्मचारियों ने किया है। दरअसल, आरबीआई कर्मचारियों ने गवर्नर उर्जित पटेल को एक लेटर लिखा है। इस लेटर में आरबीआई कर्मचारियों ने नोटबंदी के फ़ैसले पर उठते सवालों से नाराजगी जताई है। पत्र के ज़रिए आरबीआई कर्मचारियों ने कहा है कि वह नोटबंदी के फ़ैसले के बाद से ख़ुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं।
…और क्या लिखा पत्र में?
-पत्र में नोटबंदी लागू करने में कुप्रबंधन और सरकार के दखल का विरोध किया गया है।
– पत्र में लिखा गया है, इस कुप्रबंधन से आरबीआई की छवि और स्वायत्तता को इतना नुकसान पहुंचा है कि उसे दुरूस्त करना काफी मुश्किल है।
– आरबीआई के विशेष कार्य मुद्रा प्रबंधन के लिए वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति को कर्मचारियों ने आरबीआई पर जबरदस्त अतिक्रमण बताया है।
– रिजर्व बैंक की दक्षता और स्वतंत्रता वाली छवि उसके कर्मचारियों के दशकों की मेहनत से बनी थी, लेकिन इसे एक झटके में ही खत्म कर दिया गया।
इस पत्र पर ऑल इंडिया रिजर्व बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन के समीर घोष, ऑल इंडिया रिजर्व बैंक वर्कर्स फेडरेशन के सूर्यकांत महादिक, ऑल इंडिया रिजर्व बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के सीएम पॉलसिल और आरबीआई ऑफिसर्स एसोसिएशन के आरएन वत्स के हस्ताक्षर हैं। इससे पहले आरबीआई के पूर्व गर्वनर मनमोहन सिंह(पूर्व प्रधानमंत्री) ने भी रिजर्व बैंक के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठाया था।