नोटबंदी के बाद से सारा कैश लोगों ने बैंकों में जमा कर दिया। लेकिन उसी के बाद बैंकों ने अपना दूसरा पासा फेंका और बैंकिंग सर्विस पर चार्ज शुरू कर दिए। आरबीआई की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक बैंक अपनी मर्जी से सर्विस चार्ज लगा सकते हैं। इसी समस्या के समाधान पर भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गर्वनर एस. एस. मूंदड़ा ने अपना बयान दिया हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मूंदड़ा ने कहा कि कुछ बैंक बचत खातों में न्यूनतम औसत राशि रखने और अन्य सुविधाएं देने के शुल्क के बहाने ग्राहकों को उनकी कुछ सेवाएं लेने से रोक रहे हैं। उन्होंने आधार और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के विभिन्न प्लेटफॉर्म के जरिये मोबाइल नंबर पोर्टेबिल्टी की तर्ज पर बैंक खाता संख्या पोर्टेबिल्टी शुरू करने की वकालत की।
डिप्टी गवर्नर ने कहा, बैंकों को न्यूनतम औसत शेष या प्रमुख सेवाओं के लिए शुल्क लेने की स्वायत्तता है, लेकिन आम आदमी को बैंकिंग सुविधाओं से वंचित करने के लिए इनको बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। कुछ संस्थानों में हमें ऐसा देखने को मिला है। ज्यादातर बैंकों ने खाते में न्यूनतम तय राशि नहीं रखने पर शुल्क लेना शुरू किया है। साथ ही बैक बैंकिंग संबंधित सुविधाओं के लिए शुल्क ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बैंकों द्वारा चुनिंदा सेवाओं के लिए शुल्क लेने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन नियमों को इस तरीके से डिजाइन न किया जाए कि ग्राहक सुविधाओं से वंचित हो जाएं। मूंदड़ा ने कहा, यदि बैंक प्रमुख सेवाएं दे रहे हैं तो मुझे शुल्क लेने में कोई बुराई नजर नहीं आती, लेकिन ये शुल्क उचित होने चाहिए। ये ग्राहकों को भगाने के तरीके के नहीं होने चाहिए।
डिप्टी गवर्नर मूंदड़ा ने कहा कि रिजर्व बैंक की चिंता सभी लोगों को बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने तक सीमित है। केंद्रीय बैंक यह नहीं देख रहा कि ग्राहकों को ये सुविधाएं देने के लिए बैंक कितना शुल्क लगा रहे हैं। उन्घ्होंने कहा कि पिछले दो साल में आधार नामांकन हुआ है, एनपीसीआई ने प्लेटफॉर्म बनाया है। आईएमपीएस जैसे बैंकिंग लेनदेन के लिए कई एप शुरू किए गए हैं। ऐसे में खाता संख्या पोर्टेबिल्टी की भी संभावना बनती है।