एकता मिश्रा, लखनऊ। पेट में गैस, बदहजमी, लिवर की खराबी, स्त्री के रोग जैसे पेशाब में जलन, सफेद पानी, गठिया व जोड़ों में दर्द जैसी तमाम तकलीफदेह बीमारियों का शर्तिया इलाज। यह दावा है राजधानी के विभिन्न स्थानों पर तंबू कनात में सजे कथित आयुर्वेदिक दवाखानों के जहां बैठने वाले अनपढ़ लोग अपने आपको वैद्य घोषित किये हुए हैं और आने वाले रोगी की नब्ज पकड़ दवा दे रहे हैं। खासबात यह कि राजधानी में खुलेआम मरीजों को हो रहे इस तरह के खिलवाड़ के बाद भी इन पर कार्रवाई करने वाला कोई नहीं है। शासन प्रशासन के आलाधिकारियों को भी यह सब दिखायी नहीं पड़ता।
दरअसल, राजधानी के विभिन्न स्थानों पर तंबूओं में दवाखाने चल रहे हैं। इनके नाम कुछ इस तरह हैं। बाबा बंगाली दवाखाना, कामदेव आयुर्वेदिक वैद्यजी कैम्प दवाखाना आदि। इन तंबूओं में दिखावे के नाम पर कुछ डिब्बों में दवाएं रखा होना दिखायी पड़ता है। यहां बैठे कथित वैद्य नब्ज देखकर दवाएं देते हैं…नब्ज देखने के लिए फीस १० या २० रुपए ही है लेकिन दवाओं के नाम पर हजारों रुपए की मांग की जाती है। इतना ही नहीं, इनकी नजर में वह गरीब व निम्न वर्गीय के परिवार के लोग जैसे मजदूर, मिस्त्री, कामवाली, सफाईकर्मी जैसे लोग होते हैं जो अपनी तकलीफ लेकर उनके पास आते हैं जहां उन गरीबों से न सिर्फ ठगी की जा रही है बल्कि उनके सेहत के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
गुप्त रोग के इलाज के नाम पर उठाते हैं फायदा
यही नहीं, तंबूओं में सजे इन दवाखानों के बाहर लगे बैनरों में गुप्तरोग से जुड़ी सभी बीमारियों के इलाज का दावा किया जाता है। फिर चाहे उसमें पुरुषों से जुड़ी बीमारियां हों या फिर महिलाओं से। ऐसे में जो व्यक्ति अपनेआप को इसका रोगी समझता है और बड़े डॉक्टरों के पास जाने से झिझकता है या फिर उनके पास इसके लिए रुपए नहीं होते तो ऐसे लोग इनके दावों के झांसे में आ जाते हैं। शर्म वह झिझक से भरे यह लोग पुडिय़ों में मिलने वाली दवाओं को बिना समझे खाते रहते हैं। जिसका उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
३५०० रुपये में गठिया का इलाज
दवाखाने पर बैठा २५ वर्षीय युवक कान में ईयर फोन लगाये चारपायी पर बैठा हुआ था। जब उससे वैद्य जी के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि वह खुद इलाज करता है। मां को गठिया होने की बात कहने पर उसने कहा कि वह शर्तिया उनकी तकलीफ दूर कर देगा। एक माह इलाज चलेगा और वह स्वस्थ हो जाएंगी। इस दौरान उसने गठिया के इलाज के लिए ३५०० रुपये की मांग की। साथ ही कहा कि वह खुद आठवीं पास है लेकिन उनके पिता व दादा सब वैद्य रहे हैं। इसलिए वह भी इलाज करना जानता है।
क्या कहते हैं आयुर्वेद विशेषज्ञ
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. देवेश कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि इस तरह तंबूओं में खुले आयुर्वेदिक दवाखाने न सिर्फ आयुर्वेद के नाम बदनाम कर रहे हैं। साथ ही रोगियों की सेहत भी बिगाड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इनके द्वारा दी जाने वाली अधिकतर दवाओं में स्टेरॉयड होता है। जिसके खासे नुकसान है। रोगी के शरीर में सूजन आ जाती है और उसकी किडनी, लिवर सहित शरीर के अन्य अंगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए इन पर लगाम लगना बेहद जरूरी है।