5 दिन तक इसलिए मनाते हैं दिवाली, पढ़िए 5 दिलचस्प कहानियां
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दिवाली हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार है। 5 दिनों तक मनाए जाने वाले इस त्यौहार की तैयारियां महीने भर पहले से शुरू हो जाती हैं। पूरे घर की साफ-सफाई से लेकर ऐसे ढोरों काम होते हैं जिन्हें हम केवल दिवाली के समय ही करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दिवाली 5 दिनों तक क्यों मनाते हैं? या फिर दिवाली के ये 5 दिन हमारे लिए इतने खास क्यों हैं? दरअसल दिवाली को 5 दिनों तक मनाने के पीछे 5 कहानियां हैं। तो आइए आपको भी बताते हैं कौन-सी हैं वो कहानियां।
पहला दिन – धनतेरस
दीपावली का पहला दिन धनतेरस के रूप में पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। इस दिन चांदी खरीदने की प्रथा है इसके पीछे एक बड़ा कारण माना जाता है। कहा जाता है कि चांदी चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन को संतोष रूपी धन देता है और जिसके पास संतोष है वहीं सबसे सुखी व्यक्ति है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा के लिए मूर्ति भी खरीदते हैं।
क्या करें – धनतेरस के दिन दीप जलाकर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरी से स्वास्थ्य और सेहतमंद बनाए रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदें जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं।
दूसरा दिन – रूप चौदस
दीपावली के दूसरे दिन को रूप चौदस और नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथा है कि इसी दिन कृष्ण ने एक दैत्य नरकासुर का संहार किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त किया था। इस दिन को छोटी दीपावली के रूप में भी मनाते हैं।
क्या करें – इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तेल लगाएं और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करें और विष्णु मंदिर या कृष्ण मंदिर में जाकर भगवान का दर्शन करने से सभी पाप खत्म होते हैं। अगली स्लाइड में जानिए दिवाली, गोवर्धन और भाईदूज के पीछे की कहानी…
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