क्या हिंदुओं के वंशज हैं मुसलमान?
देश भर में तीन तलाक का मामला गरमा रहा है। तमाम समाजिक कार्यकर्ता फिर वे चाहे हिंदू हों या मुस्लिम तीन तलाक के कानून को ख़त्म करने की वकालात कर रहे हैं। वहीं इस्लाम के धर्म गुरू भी धर्म का हवाला देकर इसके पक्ष में खड़े हैं। वे नहीं चाहते कि उनके धर्म के कानून में किसी भी प्रकार का दखल दिया जाए। वे इस्लाम को अलग धर्म मानते हैं लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि इस्लाम कोई अलग धर्म नहीं बल्कि इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम हिंदुओं का ही हिस्सा हैं। कुछ लोग मुसलमानों को सूर्पणखा का वंशज बताते हैं। अब ये बात कितनी सच है और कितनी झूठ ये तो कथा गढ़ने वाले ही जानें। फिलहाल हम आपको बता रहे हैं वो बातें जिनके आधार पर मुसलमानों को सूर्पणखा का वंशज बताया जा रहा है।
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1. रामायण में सभी राक्षसों का वध हुआ था लेकिन सूर्पणखा का वध नहीं हुआ था। उसकी नाक और कान काट कर उसे छोड़ दिया गया था। नाक कट जाने की वजह से वह कपडे़ से अपने चेहरे को छुपा कर रखती थी। जब श्रीराम ने रावण का वध किया तो उसके बाद सूर्पणखा अपने पति के साथ शुक्राचार्य के पास गई और जंगल में उनके आश्रम में रहने लगी। राक्षसों का वंश ख़त्म न हो इसलिए शुक्राचार्य ने शिव जी की आराधना की।
2. शुक्राचार की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने अपना स्वरुप यानी कि शिवलिंग शुक्राचार्य को दे कर कहा कि जिस दिन कोई “वैष्णव” इस पर गंगा जल चढ़ा देगा उस दिन राक्षसों का नाश हो जाएगा। उस आत्म लिंग को शुक्राचार्य ने वैष्णव यानी कि हिन्दुओं से दूर रेगिस्तान में स्थापित किया जो आज अरब में “मक्का मदीना” के नाम से जाना जाता है।
3. इधर सूर्पणखा जो उस समय चेहरा ढक कर रखती थी उसकी इस मजबूरी को सूर्पणखा के बच्चों ने परंपरा के तौर पर निभाया यही कारण है कि आज भी मुस्लिम औरतें अपना चेहरा ढकती हैं और सूर्पणखा के वंशज आज मुसलमान कहलाते हैं।
4. चूंकि शुक्राचार्य ने इन्हें जीवन दान दिया था इसलिए ये शुक्रवार को विशेष महत्त्व देते हैं।
5. यह बात तो सब जानते हैं कि मोहम्मदी मूलरूप से अरब वासी है। अरब देशो में सिर्फ रेगिस्तान पाया जाता है। वहां जंगल नहीं हैं, पेड़ नहीं हैं। इसीलिए वहां मरने के बाद जलाने के लिए लकड़ी न होने के कारण मृत शरीर को ज़मीन में दफ़न कर दिया जाता था। यही से मुर्दों को दफनाने की प्रथा शुरू हुई।
6. रेगिस्तान में हरीयाली नहीं होती। ऐसे में रेगिस्तान में हरा चटक रंग देखकर इंसान चला आता था जो कि सूचक का काम करता था। यही से हरे रंग को पवित्र माना जाने लगा।
7. अरब देशों में लोग रेगिस्तान में तेज़ धूप में सफ़र करते थे। इसलिए वहां के लोग सिर को ढकने के लिए टोपी पहनते थे। जिससे कि लोग बीमार न पड़ें। यहीं से टोपी पहनने की प्रथा चल पड़ी।
8. चूंकि रेगिस्तान में खेत नहीं थे, न ही फल थे तो खाने के लिए वहां अनाज भी नहीं होता था। इसलिए वहां के लोग जानवरों को काट कर खाते थे। जिसे कुर्बानी का नाम दिया गया।
9. सब लोग एक ही कबीले के खानाबदोश होते थे इसलिए आपस में भाई-बहन ही निकाह कर लेते थे।
10. रेगिस्तान में मूर्ती बनाने के लिए मिट्टी नहीं मिलती थी इसलिए मूर्ती पूजा नहीं करते थे।
11. खानाबदोश थे, एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता था इसलिए कम बर्तन रखते थे और एक थाली में पांच लोग खाते थे।
12. कबीले की अधिक से अधिक संख्या बढ़े इसलिए हर एक को चार बीवी रखने की इज़ाजत थी। यहीं से कई बीवियां रखने का चलन शुरू हुआ।
इसी साल फरवरी में हिंदुओं के धर्मगुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने अपने एक बयान में कहा था कि सभी मुस्लिम भगवान राम कें वंशज हैं। उन्होंने कहा था कि हज के वक्त की जाने वाली सारी रस्में हिंदू धर्म के मुताबिक होती हैं।
ये लेख आपको जानकारी देने के उद्देश्य से पोस्ट किया गया है। ये यूथेंस न्यूज़ के अपने विचार नहीं हैं और न ही यूथेंस न्यूज़ इससे सहमत है।
साभार : lolbaba.com
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