कलाकार : कृति कुल्हारी, तोता रॉय चौधरी, अनुपम खेर, नील नितिन मुकेश
निर्देशक मधुर भंडारकर
मूवी टाइप : ड्रामा
अवधि : 2 घंटा 19 मिनट
मधुर भंडारकर अपनी खास फिल्मों के लिए फिल्म इंडस्ट्री में पहचाने जाते हैं। उनकी फिल्मों के सब्जेक्ट में एक नयापन होता है।इस फिल्म की कहानी इंदु के पति एक सरकारी मुलाज़िम होते है और इमर्जेंसी के जरिए अपने करियर को बूस्ट करना चाहते है, लेकिन इंदु नैतिकता और विचारधारा के बहाव में अपना अलग रास्ता चुन लेती है। ट्रेलर देखकर आपको अंदाजा लग गया होगा कि यह आपतकाल के ऊपर फिल्म बनाई गई है और फिल्म का नाम रखा है ‘इंदु सरकार’।
रिव्यू : फिल्म कुछ ऐसी है कि मधुर भंडारकर बहुत सुधकर उस वक्त की तरफ वापस कदम बढ़ा रहे हैं जब वह मनगंढत कहानियों को असली जैसा दिखाने के बजाय असली घटनाओं को दिखाने पर जोर देते थे। इसमें वह पूरी घटनाक्रम को उतारने की कोशिश की है। यही वजह रही कि रिलीज से पहले फिल्म काफी विवादों में छा गई।
फिल्म में इंदु, एक बहुत ही शर्मिली लड़की है जो कि अनाथ है और उसे हकलाने की आदत है। वहीं फिल्म में नवीन (तोता रॉय चौधरी) उनके साथी बनते हैं। वह शादी के दौरान उससे पूछते हैं कि वह अपनी जिंदगी से क्या चाहती है। इस सवाल का जवाब उसे तब मिलता है जब शादी के बाद वह अपने पति को उन नेताओं के साथ सुर में सुर मिलाते देखती है जो इमर्जेंसी का गलत फायदा उठाते है और नियमों को ताक पर रख देते है। इसके बाद इंदु ऐसे लोगों और उस सिस्टम के खिलाफ अपना मोर्चा खोलती हैं। उसके बाद हालत ऐसे बनते-बिगड़ते जाते है कि इंदु को अपनी आवाज बुलंद करने पर मजबूर कर देते हैं। इसके बाद इंदु खुलकर विरोध जताती है। आखिर इसके बाद क्या होता है यह तो आपको मूवी देखने पर पता चल जाएगा। फिल्म में बहुत अच्छे तरीके से लीड किरदार की भावनाओं और दुविधाओं के बीच संघर्ष करते हुए दिखाया गया है।
फिल्म में कीर्ति कुल्हारी का अभिनय जोरदार है, और सभी किरदार भी जोरदार रहे है। ऐसा है कि आप एक बार देखने जा सकते है। इस फिल्म में मधुर अपना एंगल और अपनी बात रखने में वह कामयाब रहे हैं। लेकिन पेज थ्री जैसी फिल्मों की तुलना में इंदु सरकार थोड़ी पीछे है।