कलयुग में हमने ऐसी कई घटनाओं के बारे में सुना है जिससे बाप-बेटी का पवित्र रिश्ता तार-तार हुआ है। जिस तरह राधा-कृष्ण को प्यार के रिश्ते की मिसाल और कृष्ण-द्रोपदी को भाई-बहन के रिश्ते की मिसाल के तौर पर देखा जाता है वैसे ही एक कहानी प्राचीन रोम की भी है जो पिता-पुत्री के रिश्ते की पवित्रता को साबित करती है। इस कहानी का जिक्र रोम के महान इतिहासकार वलेरियस मैक्सिमस ने अपनी एक किताब में किया है। हालांकि ये कहानी नैतिकता के कुछ विपरीत है फिर भी इसे रोम में सम्मान की नज़रों से देखा जाता है। आइए जानते हैं क्या है वो कहानी।
पुरातन रोम में एक राजा हुआ करता था जिसका एक बड़ा भाई था। बड़े भाई की एक बेटी भी थी जो काफ़ी खूबसूरत थी। राजा को अक्सर ये डर सताता रहता था कि उसका बड़ा भाई उसे एक दिन मार डालेगा और राजपाठ लूट लेगा। इसी डर के चलते राजा ने साइमन नाम के अपने बुजुर्ग भाई को कालकोठरी में डालने का आदेश दे दिया। साथ ही राजा ने अपने सैनिकों को आदेश भी दिया कि जब तक साइमन की मौत न हो जाए उसे कुछ भी खाने या पीने का न दिया जाए। सैनिकों ने ऐसा ही किया।
जैसे ही साइमन की बेटी, पेरु के कानों तक ये खबर पहुंची कि उसके पिता को बिना किसी कारण के बंधक बनाकर कालकोठरी में डाल दिया गया है तो वो सीधे राजा के पैरों में गिरकर उन्हें रिहा करने के लिए मिन्नतें करने लगी। उसने राजा से कहा, ’’यदि आप मेरे पिता को रिहा नहीं करना चाहते तो न करें लेकिन आप मुझे दिन में दो बार अपने पिता से मिलने की अनुमति दें।’’
राजा ने उसकी बात मान ली लेकिन ये शर्त रखी कि जब भी वह अपने पिता से मिलने जाएगी तो सैनिकों द्वारा उसकी तलाशी ली जाएगी और यदि उसके पास कुछ खाने की चीज़ मिली तो उसे भी अपने पिता के साथ कालकोठरी में डाल दिया जाएगा। इसके अलावा राजा ने अपने सैनिकों को उस कालकोठरी की दीवार में एक छेद करने के लिए भी कहा जिसके जरिए साइमन और पेरु आपस में बात कर सकें।
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